चांद की रोशनी में क्यों रखकर खाई जाती है खीर,जानें ये वैज्ञान‍िक कारण

चांद की रोशनी में क्यों रखकर खाई जाती है खीर,जानें ये वैज्ञान‍िक कारण

चांद की रोशनी में क्यों रखकर खाई जाती है खीर,जानें ये वैज्ञान‍िक कारण लाइव हिंदी खबर :-अश्विन माह में पड़ने वाले शरद पूर्णिमा को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे कोजागरी या कोजागर पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता हैं। मान्यता है कि इस दिन चांद अपने 16 कलाओं को पूरा करता है और इसी रात भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचा था और इसी दिन आसमान से अमृत की वर्षा होती है।

बहुत से लोग शरद पूर्णिमा के दिन व्रत या उपवास भी करते हैं। इस दिन सुबह वह अपने इष्ट देव की पूजा करते हैं। इन्द्र और महालक्ष्मी की पूजा करके उनके सामने घी का दीपक जलाया जाता है। शरद पूर्णिमा के दिन ब्राह्मणों को खीर का भोजन भी कराया जाता है। रात में चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद भोजन करना चाहिए। आप चाहें तो खीर बनाकर उसे चांद की रोशनी में भी रख सकते हैं।

प्रसाद रखने का वैज्ञान‍िक कारण 

वहीं अगर वैज्ञानिक कारण की बात करें तो शरद पू्र्णिमा की रात को खुले आसमान के नीचे प्रसाद बनाकर रखने से फायदा भी होता है। दरअसल, यह वो समय है जब मौसम में काफी बदलाव होता है। इसके साथ ही शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा धरती के बहुत करीब होता है।

ऐसे में शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा से न‍िकालने वाली कि‍रणों में मौजूद रासायनिक तत्व जब धरती पर ग‍िरते हैं, तब इस प्रसाद में चंद्रमा से न‍िकले लवण और विटामिन जैसे तत्‍व मिक्स हो जाते हैं। यह हमारे हेल्थ के लिए बेहद फायदेमंद होता हैं। इस प्रसाद को खाली पेट खाने से बॉडी में एनर्जी बढ़ती है। इससे सांस से संबंधी मरीजों को काफी लाभ पहुंचता है।

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