लाइव हिंदी खबर (हेल्थ कार्नर ) :- चाय की चुस्कियां लेना सभी को अच्छा लगता है, लेकिन इसे ज्यादा पीने से एसिडिटी, अपच आदि समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में हर्बल-टी और काढ़ा बेहतर विकल्प हैं। आइए जानते हैं कुछ खास तरह की स्वास्यवर्धक हर्बल-टी के बारे में :-
हिबिस्कस-टी : हृदय रोगों से बचाए
गुड़हल के फूलों को सुखाकर इसे तैयार किया जाता है। हाई ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखने के साथ यह हृदय रोग व स्ट्रोक का खतरा कम करती है। एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर हिबिस्कस-टी शरीर के रोग प्रतिरोधक तंत्र को मजबूत करने के अलावा आर्थराइटिस, डायबिटीज, डिप्रेशन में फायदेमंद और कैंसर से बचाती है।
प्रयोग का तरीका : पानी में इसकी पत्तियों (चाहें तो ताजा फूल भी प्रयोग कर सकते हैं) को डालकर दस मिनट तक उबालें। इसमें एक चुटकी दालचीनी पाउडर डालकर कुछ देर और उबालें। चाय कड़वी न लगे इसके लिए थोड़ा नींबू और शहद उपयोग में ले सकते हैं। इसे रोजाना सुबह और शाम लें।
ग्रीन-टी : इम्यूनिटी बढ़ाती
एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर ग्रीन-टी रोग प्रतिरोधक तंत्र की कार्यक्षमता बढ़ाती है। लाइफस्टाइल डिजीज जैसे मोटापा, थायरॉइड, हाई बीपी, आर्थराइटिस, डायबिटीज, हृदय रोगों को नियंत्रित करती है। फाइटोकेमिकल्स होने के कारण यह कैंसर की रोकथाम में भी मददगार है।
ऐसे करें प्रयोग: एक कप पानी उबालने के बाद उसमें एक-चौथाई चम्मच ग्रीन-टी डालें। 5-10 मिनट के लिए उसे एक प्लेट से ढंक दें ताकि पत्तियों का पूरा असर उसमें आ जाए। अब इसे छानकर पीएं। एक कप गर्म पानी में 1 टी-बैग का भी प्रयोग कर सकते हैं। इसे सुबह व शाम दो बार लें। पानी के साथ पत्तियों को न उबालें। इसमें चीनी का प्रयोग बिल्कुल न करें। जरूरत महसूस हो तो थोड़ा नींबू व शहद प्रयोग कर सकते हैं।
लेमनग्रास-टी : खांसी-जुकाम-बुखार दूर करती
हरी लंबी पत्तियों वाली लेमनग्रास की खुशबू नींबू जैसी होने के कारण इसे लेमनग्रास कहा जाता है। खांसी, जुकाम व बुखार में यह काफी प्रभावशाली है इसलिए इसे फीवरग्रास भी कहते हैं। इसमें विटामिन-ए, सी के अलावा कैल्शियम, आयरन, पोटेशियम आदि कई पोषक तत्त्व पाए जाते हैं। यह पाचनक्रिया दुरुस्त रखने के साथ आर्थराइटिस और कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित करती है।
ऐसे करें प्रयोग : इसकी 2-3 पत्तियां लेकर पानी में डालें। धीमी आंच पर तब तक उबालें जब तक ये अपना रंग न छोड़ दें। इसके बाद छानकर नींबू का रस व शहद मिलाकर लें। खाना खाने के बाद पीएं। इसकी सूखी पत्तियां व टी बैग भी मार्केट में उपलब्ध हैं।
वाइट-टी : ग्रीन-टी की शुरुआती अवस्था
आजकल वाइट-टी का नाम भी अक्सर सुनने को मिलता है। दरअसल वाइट-टी व ग्रीन-टी एक ही प्लांट (कैमेलिया सिनेंसिस) की पत्तियां हैं। ये पत्तियां शुरुआत में सफेद होती हैं जो बाद में पककर हरी हो जाती हैं। इनके फायदे व प्रयोग करने का तरीका भी एक ही है। शुरुआती स्टेज होने के कारण सफेद में पोषक तत्त्व हरी पत्तियों की तुलना में थोड़े ज्यादा होते हैं।
रोज-टी : घटता बढ़ती उम्र का प्रभाव
गुलाब की पत्तियों से तैयार यह चाय त्वचा सम्बंधी परेशानियों में लाभकारी है। विटामिन-ए, सी व ई से भरपूर रोज-टी चेहरे से झुर्रियां हटाकर बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करती है। यह वजन नियंत्रित करने, पाचनक्रिया दुरुस्त व तनाव का स्तर घटाती है।यह स्किन के अलावा लाइफस्टाइल डिजीज में भी फायदा पहुंचाती है।
प्रयोग का तरीका: गुलाब की ताजी या सूखी पत्तियों को पानी के साथ उबालें। इसमें थोड़ा दालचीनी पाउडर, दो लौंग व इलायचीदाने डालें। छानकर स्वादानुसार शहद मिक्स करें।