हेल्थ कार्नर :- पीपरा मूल (पीपल की जड़), उत्तेजक, पाचक, पित्तकारक, वात, उदर (पेट) रोग, प्लीहा-रोग, गुल्म (पेट में वायु की गांठ), कृमि (कीड़े), श्वास (दमा) तथा क्षय (टी.बी.) के रोगों का नाश करता है।
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पीपरा मूल और छोटी इलायची को 25-25 ग्राम की मात्रा में कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 3 ग्राम लेकर प्रतिदिन घी के साथ सेवन करने से कब्ज की समस्या से उत्पन्न हृदय रोगों में लाभ होता है। 10-10 ग्राम पीपरामूल, अमलवेत, सोंठ, कालीमिर्च, छोटी पीपल, तेजपात (तेजपत्ता), समी का दाना, इलायची का दाना, तालीसपत्र, दालचीनी, सफेद जीरा, चित्रक की जड़ की छाल को लेकर बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में कम से कम एक साल पुराना गुड़ मिलाकर रख दें। यह चूर्ण 4 ग्राम सुबह शाम गाय के दूध के साथ खाने से बिगड़ा हुआ जुकाम, खांसी और स्वर-भेद (गला बैठ जाना) ठीक हो जाता है।