हेल्थ कार्नर :- पोदीने की मूल उत्त्पत्ति का स्थान भूमध्य सागरीय प्रदेश है, परंतु आजकल संसार के अधिकतर देशों में पोदीने का उत्पादन हो रहा है। पोदीने की एक प्रकार की पहाड़ी की किस्म भी होती है। भारत के लगभग सभी प्रदेशों में पोदीना उगाया जाता है। पोदीने में अधिक तेज खुशबू होती है। पोदीने की चटनी अच्छी बनती है। पोदीने का उपयोग कढ़ी में और काढ़ा बनाने में किया जाता है। दाल-साग आदि में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
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पोदीना भारी, मधुर, रुचिकारी, कफ, खांसी, नशा को दूर करने वाला तथा भूख को बढ़ाने वाला है। पोदीना धातु के लिए हानिकारक होता है। पित्तकारक प्रकृति होने के कारण पित्त प्रवृति के लोगों को पोदीने का सेवन कम मात्रा में कभी-कभी ही करना चाहिए। नियमित रूप से अधिक मात्रा में इसका सेवन करना लाभदायक होता है। 3 ग्राम पोदीने के रस में हींग, जीरा, कालीमिर्च और थोड़ा सा नमक डालकर गर्म करके पीने से पेट के दर्द और अरुचि (भोजन की इच्छा न होना) रोग ठीक हो जाते हैं।