भगवान को फूल चढ़ाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। कहा जाता है की धार्मिक कार्यो में या देवी देवताओं को पुष्प चढ़ाने से हमें आंतरिक अनुभूति कि शांति मिलती है और इससे सकारात्मक ऊर्जा का भी प्रवाह होता है, घर के मंदिरों में भी देवी देवताओं को पुष्प अर्पित करना चाहिए इससे घर का वातावरण शुद्ध होता है मन शांत और प्रफुल्लित रहता है। सभी देवी-देवताओं को अलग-अलग फूल पसंद होते हैं। माता लक्ष्मी को कमल का फूल बेहत पसंद है। लक्ष्मी जी का आसन भी कमल का ही फूल है और माता लक्ष्मी कमल के फूल पर विराजमान रहती है। इसलिए लक्ष्मी जी की पूजा में लाल कमल के फूल अर्पित किए जाते हैं जिससे व प्रसन्न होती है और हमेशा धनवान रहने का आशीर्वाद देती है।
- अगर आप भी चाय पीते हैं तो इस खबर को जरूर पढ़ें, वरना कहीं देर ना हो जाये क्लिक करे
- बुढ़ापे तक रहना चाहते हैं जवान तो दूध में मिलाकर करे इस चीज का सेवन…! क्लिक करे
- लौकी की सब्जी खाने के बाद भूलकर भी न खाएं ये 2 चीजें, वरना जीवन भर पछताओगे क्लिक करे
इसके अलावा सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी भी कमल के आसन पर विराजमान रहते हैं। लेकिन ब्रह्मा जी सफेद कमल के आसन पर बैठते हैं। ब्रह्मा जी को सफेद कमल बहुत प्रिय होता है। कहा जाता है की सफेद कमल का फूल बहुत कम खिलता है और इसका महत्व बहुत अधिक माना जाता है क्योंकि शास्त्रों के अनुसार इस फूल को खिलता हुआ देख लेने मात्र से ही व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
कहा जाता है की जिन लोगों को सफेद कमल का फूल खिलते हूए दिख जाता है वह व्यक्ति बहुत ही भाग्यशाली लोग होते हैं, पर ये बात भी सही है की इसे देखना बहुत कठिन है। क्योंकि ये हिमालय की पहाड़ियों में ही मिलता है। ब्रह्म कमल नाम से विख्यात सफेद रंग का ये फूल साल में एक बार रात के समय खिलता है और सुबह होने तक मुरझा जाता है। इसी वजह से इसे खिलता हुआ देख पाना संभव नहीं होता है। ब्रह्मकमल एकमात्र ऐसा फूल है जिसके खिलने के बाद उसकी पूजा की जाती है। माना जाता है कि दुर्लभ संयोगों के बाद ही इस फूल के दर्शन होते हैं।