लाइव हिंदी खबर :-सभी धर्मों में ईश्वर की पूजा का अपना खास महत्व है। ऐसे में जहां अधिकांश पूजा से संबंधित कार्य सनातन धर्म में सुबह व शाम (संध्याबैला) के समय करने अच्छे माने जाते हैं। वहीं कुछ पूजा लोग रात में भी करते हैं। कभी समय की कमी के चलते तो कभी किसी और कारणवश…
लेकिन क्या आप जानते हैं कि सामान्यत: ईश्वर की भक्ति-पूजा करने के लिए कोई विशेष समय नहीं निर्धारित किया जा सकता है। कहने का अर्थ है कि हम जब चाहे ईश्वर को स्मरण कर सकते हैं और उनकी पूजा-आराधना कर सकते हैं।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार वहीं कुछ देवी-देवताओं के संबंध में मान्यता है कि इनकी पूजा के समय का खास ख्याल रखना चाहिए, फिर भी रात में भगवान की पूजा करते समय हमें कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से हमें इस अवधि में की गई पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होगा। आइये जानते हैं कि रात में पूजा के समय किन बातों का खास ख्याल रखना चाहिए..
शंख का उपयोग
ऐसा माना जाता है कि सूरज अस्त होने के बाद देवी-देवता सोने चले जाते हैं, इसलिए जब भी रात में यानी सूर्यास्त के बाद पूजा करें तो ध्यान रखें कि शंख नहीं बजाना चाहिए। शंख ध्वनि से माना जाता है कि उनकी निद्रा में बाधा आती है। ऐसे में मान्यता है कि दीपावली, जन्माष्टमी जैसे कुछ धार्मिक अवसरो को छोड़कर जहां तक हो सके सूरज ढलने के बाद शंख नहीं बजाना चाहिए।
रात में सूर्य देव की पूजा
माना जाता है कि अगर आप दिन में कोई विशेष पूजा करते हैं तो उसके साथ दिन में सूरज भगवान की भी पूजा जरूर करें, क्योंकि सूर्य देव को दिन का देवता माना गया है परंतु इस बात का विशेष ध्यान रखें कि रात में पूजा करते समय कभी भी सूर्य देव की पूजा ना करें।
रात में तुलसी का प्रयोग
आमतौर पर भगवान विष्णु, श्री कृष्ण और सत्यनारायण जी की पूजा होती है, तो पूजा में तुलसी के पत्ते का प्रयोग किया जाता है। तुलसी के पत्ते के बिना इनकी पूजा अधूरी मानी जाती है।
इसलिए जब भी कभी रात्रि में पूजा करें, तो दिन में ही तुलसी का पत्ता तोड़ कर रख लें। दरअसल सूर्यास्त के बाद तुलसी जी के सोने का समय होता है, ऐसे में रात की पूजा में उस समय कभी भी तुलसी का पत्ता ना तोड़ें, इससे तुलसी माता नाराज हो जाती है।
रात में दुर्वा का इस्तेमाल
गणेश जी की पूजा में दूर्वा बहुत ही प्रिय होता है इसलिए उनकी पूजा में दूर्वा का प्रयोग करना बहुत ही शुभ फलदायी माना गया है। साथ ही भगवान शिव, सरस्वती, लक्ष्मी और कुछ दूसरे देवताओं को भी दूर्वा चढ़ाई जाती है।
इसलिए रात में पूजा करनी हो तो दिन में ही दूर्वा तोड़कर रख लेना चाहिए। शास्त्रों में ऐसा कहा जाता है कि सूरज अस्त होने के बाद वनस्पतियों के साथ छेड़ छाड़ नहीं करनी चाहिए, ऐसा करने से देवी-देवता नाराज हो जाते हैं।
इस बात का रखें खास ख्याल
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार रात्रि में पूजा करने के बाद कुछ खास बातों का ख्याल अवश्य रखना चाहिए, इसके तहत रात की गई पूजा के बाद पूजा में इस्तेमाल किए गए फूल, अक्षत और दूसरी चीजों को रात भर पूजास्थल पर ही रहने दें, इन्हें कभी भी उस समय नहीं हटाना चाहिए, इन्हें सुबह ही अपने स्थान से हटाना चाहिए।