
लाइव हिंदी खबर :- अफगानिस्तान में तालिबान सरकार ने यौन उत्पीड़न, मानवाधिकार, महिलाओं की समाजशास्त्र और जेंडर स्टडीज जैसी विषयों से जुड़ी किताबों पर रोक लगा दी गई है। यह आदेश 28 अगस्त 2025 से लागू हुआ जिसके तहत 679 किताबें प्रतिबंधित कर दी गई हैं। इनमें से 140 किताबें महिला लेखिकाओं द्वारा लिखी गई थी। तालिबान ने न सिर्फ इन विषयों की पढ़ाई पर रोक लगाई, बल्कि साफ कहा कि अब महिलाओं द्वारा लिखी गई कोई भी किताब विश्वविद्यालय में नहीं पढ़ाई जाएगी। समिति ने इन्हें शरिया और तालिबान की नीतियों के खिलाफ बताया है।
वाई-फाई और शिक्षा पर लगातार पाबंदियां
यह फैसला तालिबान के पिछले चार सालों में लगाए गए कई प्रतिबंधों की कड़ी का हिस्सा है। हाल ही में उन्होंने 10 प्रांतों में वाई-फाई बंद कर दिया था, यह कहते हुए कि इससे अनैतिक गतिविधियों को रोका जा सकेगा। पहले ही महिलाओं को कक्षा 6 से आगे पढ़ाई करने से रोका गया था और दाई के पाठ्यक्रम, जो उनका आखिरी सहारा थे, 2024 के आखिर तक बंद कर दिया गया।
ईरानी लेखकों की किताबें भी निशाने पर
प्रतिबंधित सूची में से 310 किताबें ईरानी लेखकों या फिर प्रकाशकों की हैं, तालिबान का दावा है कि यह कदम अफगान पाठ्यक्रम पर ईरान का प्रभाव रोकने के लिए उठाया गया। दोनों देशों के बीच हाल के वर्षों में पानी बंटवारे और शर्णाथियों की वापसी जैसे मुद्दों पर तनाव बढ़ गया था।
शिक्षा जगत पर असर
विश्वविद्यालय के प्रोफेसर का कहना कि यह प्रतिबंध अकादमिक माहौल को गहरा नुकसान पहुंचाएगा। ईरानी लेखक और अनुवादक अब तक अफगान शिक्षा को दुनिया से जोड़ने का काम करते थे। उनकी किताबें हटाने के बाद कई प्रोफेसर को खुद पाठ्यक्रम तैयार करने पड़ रहे हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं कि वह वैसे ही मानकों पर खरे उतर पाएंगे या नहीं।