लाइव हिंदी खबर :- अमेरिका और चीन के बीच बढ़ती आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) रेस दुनिया के लिए नए खतरे पैदा कर रही है। टेक्नोलॉजी एक्सपर्टस का कहना है कि आने वाले समय में युद्ध का स्वरूप पूरी तरह बदल जाएगा और इंसान नहीं, बल्कि AI यह तय करेगा कि कौन जीवित रहेगा और कौन मरेगा।

15 नवंबर 2023 को सैन फ्रांसिस्को में बाइडेन-जिनपिंग मुलाकात के दौरान एक घटनाक्रम ने इस डर को और गहरा कर दिया। लंच के बाद जब दोनों नेता उठे, तो जिनपिंग के एक करीबी अधिकारी ने उनके बॉडीगार्ड को इशारा किया। बॉडीगार्ड ने तुरंत एक छोटी बोतल निकाली और जिनपिंग द्वारा छुई हर चीज पर स्प्रे कर दिया, यहां तक कि प्लेट में बचा केक भी।
बैठक में मौजूद एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि चीनी सुरक्षा एजेंसियां राष्ट्रपति जिनपिंग का कोई भी DNA बाहर नहीं जाने देना चाहतीं, ताकि उसे बायोलॉजिकल हथियार बनाने में इस्तेमाल न किया जा सके। उन्हें आशंका है कि भविष्य में ऐसी बीमारी बनाई जा सकती है जो सिर्फ एक विशेष व्यक्ति को निशाना बनाए। एक्सपर्टस के अनुसार यह घटना दिखाती है कि नई तकनीक की तेज रफ्तार ने दोनों देशों के बीच अविश्वास को चरम पर पहुंचा दिया है। आज ऐसा दौर है जब हथियार सबसे तेजी से विकसित हो रहे हैं।
रक्षा एक्सपर्टस का कहना है कि ऐसी ड्रोन मशीनें विकसित की जा रही हैं जो बिना मानव नियंत्रण के भीड़ में दुश्मन को पहचानकर मार सकती हैं। ऐसे साइबर हथियार तैयार हो रहे हैं जो किसी देश की सेना, बिजली व्यवस्था और पूरे ग्रिड को पंगु बना दें। AI आधारित जैविक हथियार भी संभव हैं, जो सिर्फ एक खास जेनेटिक पहचान वाले लोगों को खत्म कर सकें। एक्सपर्ट चेतावनी देते हैं कि अगर यह दौड़ ऐसे ही जारी रही, तो भविष्य की जंग मशीनें लड़ेंगी और इंसानों की भूमिका बेहद सीमित हो जाएगी, जिससे वैश्विक सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो सकता है।