आज भी जारी है ‘बलि’ देने का रिवाज, हजरत इब्राहिम ने आंखों पर पट्टी बांधकर दी थी बेटे की कुर्बानी

Hazrat Ibrahim ki Qurbani ka Waqia | Hazrat Ismail AS Ka Waqia - YouTube लाइव हिंदी खबर :-ईद-उल-फितर के बाद मुस्लिम समुदाय का सबसे बड़ा त्योहार बकरीद 22 अगस्त को देश भर में मनाया जाएगा। मुस्लमानों के इस सबसे बड़े त्योहार में ना सिर्फ लोग काबा में हज यात्रा पर जाते हैं बल्कि जिंदगी में एक ना एक बार मक्का जाने की ख्वाहिश जरूर रखते हैं। बकरीद पर कुर्बानी देने का चलन भी सदियों पुराना है। आज हम आपको कुर्बानी से जुड़ी ऐसी ही कुछ रोचक बातें बताने जा रहे हैं। साथ ही बताएंगें क्यों हर साल दी जाती है बकरों की कुर्बानी।

अल्लाह मांगी थी बेटे की कुर्बानी

बताया जाता है कि अल्लाह या खुदा ने हजरत इब्राहिम से उनके बेटे की कुर्बानी मांगी थी। इब्राहिम बिना किसी संकोच के अपने बेटे की कुर्बानी देने चल दिए। रास्ते में उन्हें एक शैतान मिला, जो उन्हें भ्रम में डालने लगा। लेकिन उन्होंने शैतान की बात नहीं मानी। इब्राहिम ने आंखों पर पट्टी बांधकर अपने बेटे की कुर्बानी दे दी।

इब्राहिम ईस्माइल बन गए पैगंबर

खुदा ने हजरत इब्राहिम का बड़ा दिल देखकर उनके बेटे को जानवर में बदलकर जिंदा कर दिया। तभी से कुर्बानी देने का रिवाज चल पड़ा। इस कुर्बानी के बाद खुदा ने इब्राहिम और ईस्माइल को अपना पैगंबर बना लिया और उनसे अपने लिए एक घर बनवाने के लिए कहा।

70 हजार फरिश्ते करते हैं परिक्रमा

काबा के बारे में कुरआन में बताया गया है कि यह एक जन्नत है। यहां हर रोज कम से कम 70 हजार फरिश्ते उसकी परिक्रमा करते हैं। काबा कमरे की तरह बना हुआ है। जिसके अंदर दो स्तंभ हैं, एक तरफ भेज भी रखी गयी है। जहां लोग इत्र आदि डाल सकते हैं। काबा के अंदर दो लालटेन के प्रकार के दीपक छत से लटकते हुए दिख जाते हैं। दीवारें और फर्श संगमरमर के बने हुए हैं।

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