लाइव हिंदी खबर :-शास्त्रों के अनुसार ग्रहण के समय किए गए पूजा-पाठ का विशेष लाभ मिलता है। ग्रहण काल में की गई पूजा से जहां ग्रह पीड़ा नहीं होती वही चमत्कारिक फल मिलकर जीवन की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। माना जाता है कि ग्रहण काल में की गई पूजा से विवाह में हो रही देरी से मुक्ति मिलती है, रोगों को नाश होता है, राज्यभय नहीं रहता, घर में क्लेश समाप्त होकर शांति और प्रेम का वातावरण बनता है। जानिए ग्रहण काल में कौन सी पूजा देती है विशेष लाभ:-
विवाह-बाधा निवारण हेतु:
यदि बहुत प्रयत्न करने पर भी पुत्र/पुत्री या स्वयं, लड़के/लड़की का विवाह नहीं हो रहा हो तो उससे यह प्रयोग संपन्न कराएं।
सामग्री:शिव पंचाक्षरी यंत्र, सिद्धि हेतु माला, चंदन, थाल, धूपदीप एवं आसन।
मंत्र:ऊॅ गौरी पति महादेवाय मम् इच्छित वर प्राप्त्यर्थ गौर्य नम:।(कन्या के लिए यह चेतन एवं सिद्ध मंत्र है)
ग्रहण प्रयोग:
पुत्र या लड़के लिए वर शब्द की जरह वधु शब्द का प्रयोग करें। सर्वप्रथम एक थाली में चंदन से ऊॅ बनाकर उस पर पुष्प एवं विल्वपत्र बिछा दें। अब शिव पंचाक्षरी यंत्र स्थापित कर लें तथा दीप, धुप, अगरबत्ती जलाएं। आसन ऊनी हो तो श्रेष्ठ रहेगा। आसन पर सीधे बैठकर श्रद्धा एवं विश्वासपूर्वक पंाच माला जप करें। (माला शुद्ध व सिद्ध हो) पांच माला जप के बाद थाली को वैसे ही रहने दें और पांच बार ऊॅ नम: शिवाय का उच्चारण करें। फिर स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें और शिव पंचाक्षरी यंत्र को शुद्ध जल से पवित्र करके पूजा स्थान में स्थापित कर पूजन करें और यथाशक्ति दान पुण्य करें।
गृह क्लेश निवारण प्रयोग:
मंत्र: शांति कुरु पारदेश्वर, सर्वसिद्धि प्रदायक। भुक्ति-मुक्ति दायक देव, नमस्ते-नमस्ते स्वाहा।।
सामग्री:पारद शिवलिंग, विल्वपत्र, पंचामृत, रुद्राक्ष माला।
ग्रहण प्रयोग:
ग्रहण काल से पूर्व विल्व पत्र आदि एकत्रित कर लें। ग्रहण काल आरंभ होने पर एक बड़े बर्तन में चंदन से ऊॅ बना कर विल्व पत्र नीचे रखकर पारद शिवलिंग को उस पर स्थापित करें अब पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) बना लें। परिवार का कोई भी एक सदस्य रुद्राक्ष माला से मंत्र-उच्चारण कर माला गिनता रहे व शेष सदस्य उसके साथ उच्चारण करते रहें। अब उपस्थित परिवार के सभी सदस्य धीरे-धीरे मंत्र का उच्चारण करते हुए पंचामृत पारद शिवलिंग पर चढ़ाते रहें। यह अभिषेक निरंतर करते रहें, जब तक कि पांच माला पूरी न हो जाए। जब तक माला जप चलता रहे परिवार का प्रत्येक सदस्य अभिषेक में हिस्सा लें।
पांच माला समाप्त होने पर पारद शिवलिंग को पंचामृत में ही डूबा हुआ रहने दें। स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें और शिवलिंग को पंचामृत से निकालकर शुद्ध जल से धोकर अपने पूजा गृह में स्थापित करें। यह शिवलिंग आपकी हर अभिलाषा को पूर्ण करने में सहायक होगा। पारिवारिक संबंध अत्यंत मजबूत व शुभ होगा।
राज्य-भय या दंड से मुक्ति के लिए:
मंत्र: ऊॅ क्रीं क्रीं क्रीं ऊॅ ।
सामग्री: महाकाली यंत्र, मौली, कुंकुम, एवं मिट्टी के 5 दीपक ।
विधि:
ग्रहण काल में महाकाली यंत्र पर मौली-नाड़ा छोड़ी लपेट कर 5 कुंकुम का टीका लगा दें, फिर उपर्युक्त मंत्र के 51 बार जप कर उसे प्रात: काल जमीन में गहरा गड्ढा करके दबा दें। इससे राज्य कर्मचारी को राज्य भय से मुक्ति मिलती है। महाकाली यंत्र को ताम्र पात्र में रखें व 5 दीपक तैयार करें। प्रत्येक दीपक को बारी बारी से मंत्र का एक माला जप करते हुए प्रज्वलित करें। इस प्रकार पांचों दीपक जलाने तक पांच माला जप पूरा हो जाएगा। प्रयोग समाप्ति पर पांचों दीपक व यंत्र को नदी में विसर्जित कर दें। ऐसा करने से दंड संबंधी भय से मुक्ति मिलती है।
शनि दोष निवारक प्रयोग:
मंत्र: ऊॅ प्रां प्रीं प्रौं शं शनये नम:।।
सामग्री: शनि यंत्र, काली उड़द, काला कपड़ा व शनि माला। यदि आप शनिदेव की साढ़े साती अथवा ढैय्या के प्रभाव में है, या शनि की अशुभ दशा के प्रभाव में है तो आप इस प्रयोग को संपन्न कर शनि दोष व उसकी अशुभता से मुक्त हो सकते हैं। ग्रहण के समय अथवा अमावस्या के तत्काल बाद किसी भी शनिवार को रात्रि में यह प्रयोग इस प्रकार संपन्न करें। एक चैकी या बाजोट पर काले कपड़े को बिछा दें, और उस पर साबुत काले उड़द की ढेरी बनाएं, थोड़ा सा सिंदूर छिड़कें। अब इस पर शनि यंत्र खड़ा स्थापित करें व कड़वे तेल का दीपक जलाएं और धूप करें। जप संपूर्ण होने पर यंत्र, माला, उड़द आदि काले कपड़े की पोटली में बांध लें। यदि आपके निवास के आस-पास तीन रास्ते (तिराहा) पड़ते हों तो पोटली वहां डाल दें और बिना पीछे देखे घर लौट आएं। घर आकर स्नान करें एवं श्रद्धा से दान पुण्य करें।
ग्रहण के दौरान ग्रहों की शांति के उपाय मंत्र-जप आदि:
– ग्रहण काल में कुश के आसन पर बैठकर ग्यारह हजार गायत्री मंत्र जपने से रोजगार प्राप्ति के लिए किए गए प्रयासों में सफलता मिल सकती है।
– रोग मुक्ति हेतु महामृत्युंजय यंत्र को ग्रहण काल के अवसर पर पंचामृत स्नान कराते हुए महामृत्युंजय मंत्र का जितना संभव हो सके जप करना अथवा करवाना चाहिए। ऐसा करने से एवं जिस पंचामृत से यंत्र को अभिषिक्त कराया गया उसे रोग ग्रस्त व्यक्ति को पिलाने से (न्यूनतम मात्रा में) लाभ होता है।
– ग्रहण काल में कालसर्प योग में जन्मे लोग शांति करवा कर दोषमुक्त हो सकते हैं। काल सर्प दोष निवारण यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा कर सकते हैं। कालसर्प दोष निवारण यंत्र, मंत्र, लॉकेट अथवा अंगूठी धारण करने से विशेष फल मिलता है।