तुलसी के नियमित प्रयोग से वातरक्त यानी बढ़े हुए यूरिक एसिड के स्तर में सुधार होता है। इसके पत्तियों का कालीमिर्च और शुद्ध घी के साथ प्रयोग करने से वात रोगों में आराम मिलता है। त्वचा में खुजली होने पर तुलसी और नीम की पत्तियों को पीसकर लगा सकते हैं। जावित्री और शहद को साथ मिलाकर प्रयोग करने से तुलसी टायफॉइड में आराम देती है।

अड़ूसा के पत्तों के साथ प्रयोग करने से यह खांसी में आराम देती है। पेशाब में जलन होने पर इसकी पत्तियों को दूध या पानी के साथ ले सकते हैं। दिनभर में तुलसी की 3-4 पत्तियां खा सकते हैं। इसकी पत्तियों को कभी चबाएं नहीं क्योंकि इनमें मरकरी (पारा) होती है जो दांतों की इनेमल लेयर को नुकसान पहुंचा सकती है।