लाइव हिंदी खबर :-पूरे भारत में मां लक्ष्मी अलग-अलग अवतारों में पूजी जाती हैं। धन की देवी मां लक्ष्मी के अलग-अलग मंदिर है जहां रोजाना हजारों की तादाद में भक्त अपनी मनोकमना लेकर आते हैं। मां लक्ष्मी का एक ऐसा मंदिर जो अपनी परंपरा और मान्याताओं के लिए जाना जाता है। यह मंदिर मध्यप्रदेश के जबलपुर में स्थित है जो पचमठा मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर कई मायनों में अनोखा है।
इस मंदिर में कई देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित है। मंदिर के बारे में कहा जाता है कि मां की स्थापित मूर्ति दिन में तीन बार रंग बदलती है। मां की मूर्ति के रंग बदलने के पीछे एक किंवदंती प्रचलित है। कुछ लोग केवल इसी का अनुभव करने के लिए ही पचमठा मंदिर आते हैं। माना जाता है कि सुबह में प्रतिमा सफेद, दोपहर में पीली और शाम को नीली हो जाती है।
मंदिर के बारे में
मंदिर का निर्माण गोंडवाना शासन में रानी दुर्गावती के विशेष सेवापति रहे दीवान अधार सिंह के नाम से बने अधारताल तालाब में करवाया गया था। मंदिर के पुजारियों का कहना है कि इसका निर्माण करीब 11 सौ साल पूर्व कराया गया था। इस मंदिर में अमावस की रात भक्तों का तांता लगता है। पचमठा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर एक जमाने में पूरे देश के तांत्रिकों के लिए साधना का विशेष केन्द्र हुआ करता था। कहा जाता है कि मंदिर के चारों तरफ श्रीयंत्र की विशेष रचना है।
क्यों बदलता है रंग
मंदिर के अंदरुनी भाग में लगे श्रीयंत्र की अनूठी संरचना के बारे में भी हमेशा चर्चा की जाती है। साथ ही एक और खास बात इस मंदिर से जुड़ी है जिसके अनुसार आज भी सूर्य की पहली किरण मां लक्ष्मी की प्रतिमा के चरणों पर पड़ती है।
मंदिर में हर शुक्रवार विशेष भीड़ रहती है। कहा जाता है कि सात शुकवार यहॉ पर आकर मां लक्ष्मी के दर्शन कर लिये जाएं तो हर मनोकामना पूरी हो जाती है। मंदिर के कपाट केवल रात को छोड़ कर हर समय खुले रहते हैं। दीपावली के दिन कपाट रात में भी बंद नहीं होते हैं। ऐसा होता है जब पट रात में भी बंद नहीं होते।