लाइव हिंदी खबर :- अपने से बड़ों का अभिवादन करने के लिए चरण छूने की परंपरा सदियों से रही है। सनातन धर्म में अपने से बड़े के आदर के लिए चरण स्पर्श उत्तम माना गया है। कहा जाता है कि किसी के सामने झुककर विनम्रतापूर्वक प्रणाम कर व्यक्ति खजाने के रूप में आशीष प्राप्त करता है।
कहा जाता है कि बड़ों को प्रणाम हमारा संस्कार है और उसके बदले जो आशीष मिलता है, वह अनमोल होता है। प्रणाम करना एक सम्मान है, एक संस्कार है। प्रणाम करना एक यौगिक प्रक्रिया भी है। लेकिन क्या आप जानते हैं किसको प्रणाम या नमस्कार नहीं करना चाहिए।
दरअसल, इसके बारे में नारद पुराण में साफ-साफ बताया गया है कि अगर ऐसे लोग अचानक सामने आ जाए तो उन्हें प्रणाम नहीं करना चाहिए। हालांकि ये भी बताया गया है कि अगर अनजाने में ऐसा हो जाए तो कोई दोष नहीं लगता है। लेकिन ये जानना जरूरी है कि किसे नमस्कार नहीं करना चाहिए…
ऐसे लोगों को कभी भी प्रणाम या नमस्कार नहीं करना चाहिए, जिनको अदालत ने चोर घोषित कर दिया हो। इसके अलावे ऐसे लोगों को भी नमस्कार नहीं करना चाहिए जो दूसरे को धोखा देते रहते हैं।
पागल, दौड़ता हुआ शख्स और मंत्र जप करते हुए व्यक्ति को कभी भी प्रणाम नहीं करना चाहिए। हो सके तो ऐसा करने से बचना भी चाहिए। इसके पीछे तर्क दिया जाता है कि पागल व्यक्ति को आपके अभिवादन से कोई मतलब नहीं है। वहीं दौड़ता हुआ व्यक्ति और मंत्र जप में लगा शख्स अपने काम में लगा होता है।
सोये हुए शख्स को कभी भी प्रणाम या नमस्कार नहीं करना चाहिए। क्योंकि सोये हुए व्यक्ति आपके प्रणाम या नमस्ते का जवाब नहीं दे सकता।
श्राद्ध , व्रत , दान, पूजा, यज्ञ और तर्पण करते हुए व्यक्ति को भी प्रणाम या नमस्ते नहीं करना चाहिए। क्योंकि इन्हें नमस्कार करने से उनका ध्यान भटक सकता है। इसलिए ऐसे लोगों को प्रणाम या नमस्कार करने से बचना चाहिए।