लाइव हिंदी खबर :-भगवान की पूजा करने से मानव के मन को शांति मिलती है। इसके साथ-साथ कुछ लोगों की आस्था होती है कि भगवान की प्रतिदिन यदि पूजा की जाए तो व्यक्ति के दुख व परेशानियां कम हो जाती है।
परंतु कई लोग ऐसे भी होते हैं जो बहुत पूजा करते हैं लेकिन फिर भी उनके जीवन की परेशानियां कम नहीं होती और वो लोग इसी बात से दुखी भी होते हैं। पर क्या आपको पता है कि कई बार हमारे पूजा करने में नहीं बल्कि पूजा के स्थान में दोष के कारण भी ये समस्याएं झेलनी पड़ सकती है। जी हां, तो आइए वास्तु के अनुसार जानते हैं पूजा स्थान के शुभ व सही स्थान….
– कभी भी सीढ़ियों के नीचे ना हो पूजा घर
वास्तु के अनुसार, पूजा घर या मंदिर कभी भी सीढ़ियों के नीचे नहीं होना चाहिये, क्योंकि अगर सीढ़ियों के नीचे पूजा घर होगा तो आपको परेशानियों से कभी निजात नहीं मिल पाएगा। इस जगह मंदिर होने से घर में बेवजह ही क्लेश बढ़ता है और परिवार के सदस्यों के बीच मनमुटाव भी बढ़ता है।
– बाथरूम के पास ना हो मंदिर
कभी भी पूजा घर बाथरूम के पास नहीं होना चाहिये। वास्तुशास्त्र के अनुसार, बाथरूम के पास पूजा घर बनवाने से परिवार के सदस्यों में बिगाड़ होता है और घर के मुखिया को भारी कष्ट का सामना भी करना पड़ सकता है।
– बेसमेंट या तलघर में ना रखें मंदिर
पूजा के घर या मंदिर को कभी भी बेसमेंट या तलघर में नहीं बनवाना चाहिये। ऐसा करने से आपको पूजा का फल नहीं मिलता है और इसके विपरित आपको मुसीबतों का सामना भी करना पड़ता है।
– नैऋत्य कोण का ना करें उपयोग
घर में जब भी पूजा घर बनवाना हो या फिर मंदिर रखने की जगह सुनिश्चित करनी हो तो हमेशा नैऋत्य कोण से बचना चाहिये। क्योंकि इस कोण में भगवान को रखकर पूजा करने से जीवन में मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है, जिसका कोई अंत नहीं होता।
– मूर्ति का भी रखें ख्याल
घर के मंदिर का स्थान जितना महत्वपूर्ण है। उतना ही जरूरी है मंदिर में रखी मूर्ति का आकार। वास्तु के मुताबिक कभी भी एक बित्ता यानी कि 8 इंच से ऊंची नहीं होनी चाहिए। अन्यथा घर के मुखिया को संतान से कष्ट ही कष्ट मिलने का योग बन जाता है।