लाइव हिंदी खबर :- नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद नेपाल की राजधानी काठमांडू में जनता का गुस्सा और साफ नजर आने लगा है। कई प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे और कहा कि ओली के पास अब कोई रास्ता नहीं बचा है। एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि उन्हें मजबूरन इस्तीफा देना पड़ा। यह सिर्फ सोशल मीडिया बैन का मामला नहीं है।

यह करोड़ आवाजों की तरजूमानी है, पिछले 70 सालों से करप्ट हुकूमतों ने अरबों डॉलर विदेशी बैंकों में छुपाया हुआ है और नेपाल को बर्बाद कर दिया है। यह आंदोलन इस करप्शन के खिलाफ है। ओली सरकार पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को बैन करने, कड़े कानून लागू करने और जनता की आवाज दबाने के आरोप लगते रहे हैं।
विरोधियों का कहना है कि सरकार ने अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला किया है जिससे आम लोग और युवा खास तौर पर नाराज हो गए है। हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस्तीफे के बाद नेपाल की राजनीतिक उठा-पटक खत्म नहीं होगी। देश में दशकों से चल रहे भ्रष्टाचार और सत्ता संघर्ष ने जनता का भरोसा खो दिया है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अब समय आ गया है कि नेपाल में ऐसी सरकार बने जो पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ काम कर सके।
एक और प्रदर्शनकारी ने कहा कि यहां के नेताओं ने नेपाल में बहुत भ्रष्टाचार किया है और जो हुआ वह होना ही था| यह Gen-z कभी पीछे नहीं हटेगा| यह आगे ही बढ़ता ही रहेगा। एक नया प्रधानमंत्री आएगा और जो भी सरकार आएगी। वह Gen-Z के अनुसार ही चलेगी।