लाइव हिंदी खबर :- ज्योतिष शास्त्र में कुंडली को व्यक्ति की जिंदगी में होने वाली प्रत्येक घटना की ओर इशारा करने वाला माना जाता है। कहा जाता है कि कुंडली में ग्रहों की दशा और दिशा ही किसी भी व्यक्ति के जीवन में आने वाली परेशानी और खुशियों का कारण होते हैं, जिसे हम बोलचाल की भाषा में भाग्य कहते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली की ये दशाएं हर इंसान के जन्म के साथ बनती है। यही कारण है कि उसे भाग्य के साथ जोड़कर देखा जाता है। या हम ये भी कह सकते हैं कि इन्ही से उनका भाग्य जुड़ा रहता है। कहा जाता है कि जब परिस्थितियां अनुकूल न हो तो इंसान को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
ज्योतिष शास्त्र में इसे कुंडली दोष होना बताया जाता है। यह दोष ग्रहों की खराब स्थिति के कारण हो सकता है। माना जाता है कि अगर यह दोष लंबे समय तक कुंडली में बना रहता है तो इंसान को लंबे समय तक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यही कारण है कि इसे समय रहते ठीक करने को कहा जाता है।
दरअसल, जन्मकुंडली में 12 घर होते हैं। सभी घरों यानी भाव का अपना एक विशेष प्रभाव होता है। इन घरों में पड़ने वाली राशि और ग्रह, हमारे पूरे जीवन पर जन्म से लेकर मृत्यु तक असर डालते हैं। ज्योतिष शास्त्र में नौ ग्रहों को बारह राशियों का स्वामित्व दिया गया है। इन नौ ग्रहों को आपस में शत्रु और मित्र बताया गया है।
यह राशि और ग्रह मिल कर ही कुंडली में शुभ और अशुभ योग बनाते हैं। पाप ग्रह और उनकी राशियां मिलकर कुंडली में दोष पैदा करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में कई तरह के दोष बताए गए हैं। वैसे तो कुंडली के विशेष दोषों को खत्म करने के लिए विशेष पूजा की जाती है, लेकिन कुछ छोटे-छोटे दोष जो बड़ा अशुभ फल देते हैं, उनके निवारण के लिए कुछ उपाय बताए गए हैं।
कुंडली दोष मिटाने के छोटे और अचूक उपाय
ग्रहों के जप दान करें।
सोमवार का व्रत करें, महामृत्युंजय जप कर शिवजी की उपासना करें।
भगवान शिव पर चांदी का नाग और बिल्वपत्र अर्पण करें।
बिल्व पत्रों से 108 आहूतियां दें और अपने इष्ट देवता की पूजा करें।
कुल के देवी-देवता की पूजा करें।
पितृ दोष खत्म करने के लिए पितृ पूजा या तर्पण करें।