पहला दिन: – नवरात्रि के पहले दिन देवी शैलपुत्री के स्वरूप की आराधना की जाती है। इस दिन मां के चरणों में गाय का शुद्ध घी चढ़ाईया जाता है। कहते हैं कि इससे आरोग्य की प्राप्ति होती है। इससे लोगों को कई गंभीर बीमारियों से मुक्ति मिलती है।
दूसरा दिन: – नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा की ब्रह्मचारिणी के रूप में आराधना होती है। इस दिन मां को शकर का भोग लगाया जाता है। कहते हैं कि ऐसा करने से घर के सभी लोगों की उम्र बढ़ती है।
तीसरे दिन: – नवरात्रि का तीसरा दिन देवी चंद्रघंटा को समर्पित होता है। इस दिन मां को दूध या दूध से बनी चीजों को चढ़ाना चाहिए। कहते हैं कि इस दिन दूध से बनी मिठाई का भोग लगाकर ब्राह्मणों को दान करने से दुख दूर होते हैं और प्रसन्नता की प्राप्ति होती है।
चौथा दिन: – नवरात्रि के चतुर्थ दिन माता के चौथे स्वरूप मीन देवी कुष्मांडा की आराधना होती है। इनकी पूजा करने से कठिन से कठिन बीमारियों से मुक्ति मिलती है और सभी दुःख दूर हो जाते हैं। इस दिन माता को मालपुए का भोग लगता है। कहते हैं कि यह भोग को चढ़ने और दूसरों को खिलाने से बुद्धि तेज होती है।
पांचवा दिन: – पंचम दिन देवी स्कंदमाता की आराधना की जाती है। इनकी उपासना करने से भक्तों की सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं। कहते हैं कि नवरात्रि के पांचवे दिन प्रतिबंध का नैवेद्य चढ़ाने से सेहत अच्छी रहती है। इस दिन माता को प्रतिबंध का भोग लगाना चाहिए और केले का दान भी करना चाहिए।
छठा दिन: – नवरात्रि के षष्टम दिवस देवी कात्यायनी की पूजा करने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। कहते हैं कि माँ के छठे रूप को शहद और प्यारी बहुत प्रिय है इसलिए उन्हें प्रसन्न करने के लिए शहद और मीठे का भोग।
सातवें दिन: – सप्तम दिन कालरात्रि की उपासना की जाती है। भूत-प्रेतों से मुक्ति दिल पाने वाली देवी कालरात्रि की आराधना करने से सभी कष्ट दूर होते हैं। कहते हैं कि इस दिन माता को गुड़ और मेवे के लड्डू का भोग लगाना चाहिए। इस दिन मां को लड्डू चढ़ाने के पश्चात ब्राह्यणों को दान देने से दुःख दूर होते हैं।
आठवें दिन: – नवरात्रि के अष्टम दिन महागौरी के स्वरूप की पूजा की जाती है। कहते हैं कि इस दिन नारियल का भोग लगाने से घर में सुख-समृद्धि आती है। नारियल का भोग लगाने से बच्चो से जुड़ी सारी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
नौवा दिन: – नवरात्रि के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की वंदना की जाती है। मां सिद्धिदात्री को जगत को संचालित करने वाली देवी माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन माता को तिल अर्पित करना चाहिए। नवमी के दिन तिल का भोग लगाने से अनहोनी की संभावना समाप्त होती है।