क्या आप जानते है भगवान शिव का स्वरूप बाकी के देवताओं से क्यों है बिल्कुल भिन्न ? जानें रहस्य

क्या आप जानते है भगवान शिव का स्वरूप बाकी के देवताओं से क्यों है बिल्कुल भिन्न ? जानें रहस्य

लाइव हिंदी खबर :-सनातन धर्म में भगवान शिव को संहार का देवता माना गया है। एक ओर जहां अत्यंत भोले होने के कारण इनका एक नाम भोलेनाथ है वहीं इनका अत्यंत क्रोधी स्वभाव भी है। इतना ही नहीं भगवान शंकर को ही महाकाल भी कहा जाता है साथ ही भगवान शिव देवों के देव महादेव भी कहलाते हैं।

कहा जाता है कि भगवान शिव भी दिल के बेहद भोले हैं इसलिए वो अपने भक्तों का अत्यंत ख्याल रखते हैं, साथ ही जो भी सच्चे मन में भोलेनाथ की भक्ति करता है वह उसकी सारी मनोकामना पूरी हो जाती है। सोमवार का दिन भगवान शंकर का ही माना जाता है, ऐसे में आज सोमवार को हम आपको भगवान शिव से जुड़े कुछ ऐसे रहस्यों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं। बताया जाता है कि सनातन धर्म के त्रिदेवों में भगवान विष्णु को राजा, भगवान शिव को मंत्री व भगवान ब्रह्मा को परोहित माना गया है।

आपने तस्वीरों में भी देखा होगा कि भगवान शिव का स्वरूप बाकी के देवताओं से बिल्कुल भिन्न है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण आप ये मान सकते हैं कि सभी देवी देवता अपने साजो सज्जा के लिए वस्त्र व आभूषण धारण किए होते हैं, लेकिन वहीं बात करें भोलेनाथ की तो ये न आभूषण धारण करते हैं और ना ही वस्त्र। पूरे शरीर पर भस्म लगाते हैं और गले में सर्प धारण करते हैं। इसका क्या कारण है यदि आप नहीं जानते हैं तो आज आइये हम आपको भगवान शिव से जुड़े इन रहस्यों के बारे में बताते हैं…

भगवान शिव का रहस्य : शरीर पर भस्म लगाने का रहस्य…
पुराणों व शास्त्रों में कहा गया है कि कोई भी ऐसी वस्तु नहीं है, जो भगवान शिव को आकर्षित कर सके। क्योंकि उन्हें आकर्षण मुक्त माना जाता है। यानि की सरल शब्दों में समझें तो भगवान शिव के लिए यह संसार, मोह माया सबकुछ राख के समान है, सब कुछ एक दिन भस्म हो जाएगा और राख बन जाएगा। इसी बात का प्रतीक होता है भस्म, यही कारण है कि भगवान शिव ने भस्म से ही खुद का अभिषेक कर लिया है। माना जाता है कि भस्म के अभिषेक से वैराग्य और ज्ञान की प्राप्ति होती है।

तांडव नृत्य का रहस्य…
महादेव के तांडव के बारे में तो आपने भी सुना होगा। दरअसल इसका नाम सुनते ही हमारे मन में शिव के क्रोध का ही दृश्य उभरकर सामने आता है। बता दें कि शिव तांडव के दो रूप हैं। रौद्र तांडव शिव के प्रलयकारी क्रोध का परिचायक है और दूसरा आनंद प्रदान करने वाला आनंद तांडव है। रौद्र तांडव करने वाले शिव रूद्र कहे जाते हैं और आनंद तांडव करने वाले शिव नटराज शिव के नाम से प्रसिद्ध हैं। शास्त्रों के अनुसार आनंद तांडव से ही सृष्टि अस्तित्व में आती है और रूद्र तांडव में सृष्टि का विलय हो जाता है।

गले में सर्प का रहस्य…
भगवान शिव की तस्वीर में आपने गौर किया होगा कि उनके गले में हर समय लिपटे रहने वाले सर्प के बारे में अक्सर आपके दिमाग में सवाल उठते होंगे कि आखिर शिवजी के गले में हमेशा सर्प क्यों लिपटा रहता है ? बता दें कि शिव के गले में हर समय लिपटे रहने वाले नाग कोई और नहीं बल्कि नागराज वासुकी हैं। वासुकी नाग ऋषि कश्यप के दूसरे पुत्र थे। कहा जाता है कि नागलोक के राजा वासुकी शिव के परम भक्त है।

माथे पर चंद्रमा का रहस्य…
इनके अलावा भगवान शिव के माथे पर विराजमान चंद्रमा की जिसके बारे में कहा जाता है कि जब महाराजा दक्ष ने चंद्रमा को क्षय रोग से ग्रसित होने का श्राप दिया, तो इस श्राप से बचने के लिए चंद्रमा ने भगवान शिव की अराधना की। चंद्रमा के पूजा पाठ से भगवान शिव काफी प्रसन्न हुए और उन्होंने चंद्रमा के प्राणों की रक्षा की। यही नहीं शिवजी ने चंद्रमा को अपने सिर पर धारण कर लिया। चंद्रमा की जान तो बच गई, लेकिन आज भी चंद्रमा के घटने बढ़ने का कारण महाराज दक्ष का शाप ही माना जाता है।

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