लाइव हिंदी खबर :-शिव और भांग की पौराणिक कथा
देखा जाए तो भांग एक नशीला पदार्थ है और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार हमें नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा करना अधर्म है, लेकिन फिर शिवजी भांग का सेवन क्यों करते थे? इसके पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार ‘विष’ के प्रभाव से बचने के लिए ही भगवान भोलेनाथ ने भांग का सेवन किया था।
कथा के मुताबिक समुद्र मंथन के दौरान कई रत्नों और अन्य चीजों के अलावा विष भी निकला था। विष को देखते ही देवताओं को यह डर सताने लगा कि वे इसे कैसे रोकें, क्योंकि यदि यह धरती पर फ़ैल गया तों जनमानस का खात्मा कर देगा। ऐसे में उन्होंने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वे ही कुछ करें।
इसलिए मिला ‘नीलकंठ’ नाम
भगवान शिव ने उस विष को अपने हाथों में लिया और उसे पी गए। विष पीने से उनका कंठ नीला पढ़ गया। विष उनके शरीर पर प्रभाव करने लगा था। शिवजी के इस नीले कंठ की वजह से ही उन्हें ‘नीलकंठ’ भी कहकर पुकारा जाता है।
विष के फैले प्रभाव को कम करने के लिए ही उन्होंने ने भांग का सेवन किया। भांग अपन आप में एक विषैला पौधा है लेकिन ऐसा माना जाता है कि यदि शरीर में पहले से ही विष हो तो यह उसे काट देता है। भांग का विषैला तत्व शरीर के लिए अधिक नुकसानदेह नहीं होता है।
शिव पूजन में है भांग का विशेष महत्व
भगवान शिव और भांग की इस कथा को आधार मानते हुए शिव भक्तों में ऐसी मान्यता प्रचलित है कि शिवजी के प्रसाद कहे जाने वाले भांग का सेवन करने से उनका शरीर भी पवित्र हो जाता है। इसलिए महाशिवरात्रि हो या श्रावण का महीना, शिव भक्त भांग का सेवन एक बार अवश्य करते हैं।
भगवान शिव की पूजा करते समय इस्तेमाल होने वाली तमाम सामग्रियों में भांग भी एक सामग्री है। इसके बिना शिव पूजा अधूरी मानी जाती है। कहते हैं इसे पूजा में अर्पित करने से महादेव प्रसन्न होते हैं। भांग के अलावा धतूरा और बेला पत्र भी चढ़ाना अनिवार्य माना जाता है।