लाइव हिंदी खबर :-राहुकाल के बारे में लगभग सभी लोगों ने सुना होगा। लेकिन राहुकाल क्या है इसके बारे में शायद ही कोई जानता होगा, कब आता है और इसमें शुभ कार्य करना क्यों वर्जित माना गया है। ये भी कम ही लोगों को पता नहीं होता है। दरअसल राहु काल दिन का एक ऐसा समय है जब राहु अपने पूर्ण प्रभाव में रहता है और उस दौरान यदि कोई शुभ कार्य किया जाए तो उसकी सफलता में संदेह रहता है, इसलिए पंडित और ज्योतिषी उस समय को टालने की सलाह देते हैं। राहु को पाप ग्रह माना गया है। हमारे धर्म ग्रंथों में राहु को शुभ कार्यों में बाधा डालने वाला ग्रह कहा गया है इसलिए राहु काल में कोई भी शुभ कार्य या यात्रा प्रस्थान नहीं करना चाहिए। चूंकि ग्रहों के गोचर में सभी ग्रहों का हर दिन एक निश्चित समय होता है इसलिए हर दिन एक समय राहु के लिए भी आता है, जिसे राहुकाल कहते हैं। अलग-अलग स्थानों पर सूर्योदय और सूर्यास्त के समय के अनुसार राहु काल का समय भी अलग-अलग होती है।
राहुकाल का समय
राहु काल कभी भी दिन के पहले भाग में नहीं आता है। यह कभी दोपहर तो कभी शाम को आता है और सूर्यास्त से पूर्व ही पड़ता है। रात्रि में नहीं आता है। राहुकाल समझने के लिए ज्योतिष शास्त्र में नियम बनाया गया है। नियम के अनुसार सूर्योदय से सूर्यास्त तक पूरे दिन को आठ भागों में बांटा जाता है। इसमें सूर्योदय का एक समय प्रात: 6 बजे माना गया है और सूर्यास्त का समय शाम को 6 बजे। इसलिए सुबह 6 से शाम 6 बजे तक का समय 12 घंटे का हुआ। इस 12 घंटे को 8 बराबर भागों में विभाजित करेंगे तो एक भाग करीब डेढ़ घंटे का होता है। अलग-अलग स्थानों पर सूर्योदय-सूर्यास्त का समय अलग होने से इस समय में कुछ मिनटों का अंतर हो सकता है।
ये है राहुकाल के समय
सोमवार के दिन के दूसरे हिस्से में होता है राहुकाल
मंगलवार को दिन के सातवें हिस्से में होता है राहुकाल
बुधवार को दिन के पांचवें हिस्से में होता है राहुकाल
गुरुवार को दिन के छठे हिस्से में होता है राहुकाल
शुक्रवार को दिन के चौथे हिस्से में होता है राहुकाल
शनिवार को दिन के तीसरे हिस्से में होता है राहुकाल
रविवार को दिन के आठवें हिस्से में होता है राहुकाल