लाइव हिंदी खबर :- हिन्दू धर्म में हर काम शुभ मुहूर्त में किया जाता है। इसके लिए बकायदा दिन, तिथि और समय तक देखा जाता है तब ही कार्य शुरू किया जाते हैं। अगर शादी की बात की जाए तो इसमें तो किसी तरह की अगर-मगर की गुंजाइश नहीं रखी जाती है। शुभ मुहूर्त में ही सभी वैवाहिक कार्यक्रम किए जाते हैं।
ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि विवाह के बाद वर-वधू का वैवाहिक जीवन सुखमय रहेगा। इसके लिए गौधूलि बेला सबसे शुभ माना जाता है। अब आप सोच रहे होंगे कि गौधूलि बेला होता क्या है? दरअसल, यह शाम का वह समय है, जब मवेशी ( गाय ) घास चरकर घर के लिए आ रहे होते हैं।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हिन्दू धर्म में सात फेरों के बिना शादी अधूरी मानी जाती है। साते फेरे लेने की यह रस्म गौधूलि बेला में ही निभाई जाती है। हालांकि आज की तारीख में इसमें विलंब होने लगा है। ऐसे में ये जानना जरूरी है कि हिन्दू धर्म में विवाह के लिए गौधूलि बेला को ही शुभ क्यों माना गया है…
आप इतना तो समझ ही गए होंगे कि गौधूलि बेला किस वक्त होता है और ये भी जान गए कि उस वक्त मवेशी ( गाय ) घास चरकर घर वापस आते हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हिन्दू धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है और देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है।
ऐसे में गौधूलि बेला में गायों को घर वापस आना बहुत ही शुभ माना गया है। इसके अलावा ये भी माना गया है कि गौधूलि बेला में ही देवी लक्ष्मी घर में प्रवेश करती हैं। इससे परिवार में सुख-शांति और आर्थिक संपन्नता आती है। यही कारण है कि गौधूलि बोला में गृह लक्ष्मी को अपना बहू बनाना शुभ माना गया है।
इसके अलावा गौधूलि बेला में सूर्य और चंद्रमा का मिलन होता है। यह पल बहुत ही शुभ और सुंदर होता है। मान्यता के अनुसार, सूर्य और चंद्रमा के इस मिलन अमर होता है, उसी प्रकार गौधूलि बेले में वर-वधू का मिलन भी अमर होता है। इस बेला में बना नाता अनंत काल के लिए स्थापित हो जाता है।