लाइव हिंदी खबर :- दिल्ली डिफेंस डायलॉग को संबोधित करते हुए सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि आधुनिक युद्ध में तकनीक का रोल केवल सूचना देने तक सीमित नहीं रह सकता, बल्कि उसे जमीन पर कार्रवाई करने के साधन भी प्रदान करने चाहिए। उन्होंने अमेरिका और रूस के अलास्का समेलन का संदर्भ देते हुए कहा कि यदि आप याद करें तो ट्रम्प और पुतिन की अलास्का बैठक में वे ज़मीन की ही बात कर रहे थे।

इसलिए तकनीक हमें जमीन पर कार्रवाई करने के साधन देनी चाहिए नष्ट करने, कब्जा करने, खदेड़ने या आवश्यक कोई भी कार्यवाही, यहाँ तक कि वर्चुअल क्षेत्र में भी। जनरल द्विवेदी ने कहा कि भविष्य की लड़ाइयाँ बहु-क्षेत्रीय और डेटा-केंद्रित होंगी। इसलिए थलबल के साथ-साथ वायु, समुद्र, साइबर और स्पेस क्षमताओं का समन्वय आवश्यक है। उन्होंने तेज़ निर्णय लेने के लिए रीयल-टाइम सूचना, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और उच्चस्तरीय नेटवर्किंग की भूमिका को बहुत महत्वपूर्ण बताया।
सेना प्रमुख ने यह भी जोर दिया कि तकनीक केवल आक्रामक क्षमता के विकास तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उसे जवाबी व रक्षा संबंधी रणनीतियों के अनुरूप तैयार किया जाना चाहिए। जवानों की मोबाइलिटी, लॉजिस्टिक्स, फोर्स प्रोटेक्शन और सटीक निशानेबाज़ी में भी टेक्नोलॉजी का समावेश बढ़ाना होगा।
डायलॉग में उन्होंने यह बात दोहराई कि सीमाओं पर नियंत्रण और रणनीतिक निर्णय लेने के लिए टेक्नोलॉजी-आधारित सिस्टम देश की सामरिक मजबूती बढ़ाएंगे। अंत में जनरल द्विवेदी ने कहा कि रक्षा संस्थानों, उद्योग और अकादमिक समुदाय को मिलकर वह प्लेटफॉर्म-वर्सेस-प्लेटफॉर्म सोच से आगे जाकर बहु-क्षमता वाले हल निकालने होंगे, ताकि किसी भी प्रकार की भूमि कार्रवाई प्रभावी ढंग से की जा सके।