लाइव हिंदी खबर :- Embers of Hope के निर्देशक रॉबिन रॉय ने जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संकट पर चिंता जताते हुए कहा कि दुनिया को अब भी इस खतरे की तात्कालिकता का एहसास नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि सबसे बड़ी गलतफहमी यही है कि हम जो करना चाहते हैं उसकी जरूरत और तात्कालिकता को नहीं समझ पा रहे।

दुनिया और जलवायु परिवर्तन ने हमें अनगिनत आपदाएँ दिखाई हैं, जैसे वनाग्नि, भूस्खलन और प्रवाल भित्तियों का मरना, लेकिन इन सबके बावजूद हमें स्थिति की गंभीरता का बोध नहीं है। रॉबिन रॉय ने कहा कि दुनिया भर में पर्यावरणीय आपदाएँ लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन सरकारें और समाज अब भी धीमी गति से प्रतिक्रिया दे रहे हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि केवल नीतियाँ बनाना पर्याप्त नहीं है, व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर व्यवहारिक परिवर्तन की तत्काल आवश्यकता है।
निर्देशक ने अपने डॉक्यूमेंट्री Embers of Hope के संदर्भ में बताया कि इस फिल्म का उद्देश्य लोगों को यह दिखाना है कि पृथ्वी का संतुलन कितनी तेजी से बिगड़ रहा है और हमें अब कार्रवाई करनी ही होगी। रॉय ने युवाओं से अपील की कि वे इस आंदोलन का हिस्सा बनें, क्योंकि आने वाली पीढ़ियों का भविष्य इसी पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि अगर हम अब भी नहीं जागे, तो आने वाले समय में हमारी आशा की ये चिंगारियाँ Embers of Hope पूरी तरह बुझ जाएँगी।