लाइव हिंदी खबर :- अभिनेता नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी की मानहानि याचिका लंबित रहने के बाद अदालत ने इसे खारिज कर दिया। अधिवक्ता अली काशिफ खान देशमुख ने बताया कि लंबे समय तक लंबित रहने के बाद अदालत ने समन जारी किए, लेकिन न तो नवाज़ुद्दीन और न ही उनके वकील अदालत में उपस्थित हुए। देशमुख ने कहा कि अदालत पहले ही चेतावनी दे चुकी थी कि यदि आज कोई उपस्थिति दर्ज नहीं कराई गई तो मामला खारिज कर दिया जाएगा और यही हुआ।

इस मामले में अदालत की सख्ती को देखते हुए यह कदम उठाया गया। मानहानि याचिका लंबित थी और वर्षों तक इसमें कोई प्रगति नहीं हुई। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि पक्षकारों की उपस्थिति अनिवार्य है और यदि पक्षकार या उनका प्रतिनिधि उपस्थित नहीं होता है, तो कानूनी कार्रवाई को आगे बढ़ाना संभव नहीं होता। यह मामला नवाज़ुद्दीन की ओर से किसी कथित मानहानि के खिलाफ दायर किया गया था। लंबित मामलों में अदालत की कार्रवाई समयसीमा का पालन सुनिश्चित करने और न्यायिक प्रक्रिया को गति देने के उद्देश्य से होती है।
अदालत के इस निर्णय के बाद मामला समाप्त माना जाएगा और अब कोई और सुनवाई नहीं होगी। इससे स्पष्ट होता है कि कानूनी प्रक्रियाओं में पक्षकारों की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है। यह घटना मनोरंजन उद्योग में कानूनी मामलों के प्रति गंभीर दृष्टिकोण को भी दर्शाती है, जहां अदालतें समय पर कार्रवाई सुनिश्चित करती हैं। नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी के इस मामले में गैरहाजिरी के कारण याचिका खारिज कर दी गई।