लाइव हिंदी खबर :-हिंदू धर्म में स्वास्तिक का बहुत अधिक महत्व माना जाता है। ज्योतिष और वास्तु में भी इसका बहुत अधिक महत्व बताया गया है। सामान्यतः हम लाल रंग का स्वास्तिक ही बनाते हैं लेकिन अगर वास्तु के अनुसार बात करें तो स्वास्तिक के कुछ ऐसे रंग भी होते हैं जो कि व्यक्ति के जीवन की कई समस्याएं दूर कर देती हैं। तो आइए जानते हैं स्वास्तिक के रंग और उससे जुड़े महत्वों के बारे में….
किस रंग और किन-किन चीजों से बनता है स्वास्तिक
स्वास्तिक अधिकतर लाल रंग का बनाया जाता है। लाल रंग का स्वास्तिक शुभ मना जाता है। वहीं पीले रंग का स्वास्तिक हल्दी से बनाया जाता है और पीले रंग का स्वास्तिक अगर ईशान या उत्तर दिशा की दीवार पर बनाया जाये तो घर में हमेशा सुख-शांति बनी रहती है। स्वास्तिक बनाने के लिये केसर, सिंदूर, रोली औक कुमकुम का उपयोग किया जाता है।
लाल स्वास्तिक
शास्त्रों के अनुसार स्वास्तिक गणेश जी का प्रतीक माना जाता है। गणेश जी यानी शुभ और लाभ। वहीं जब भी कोई मांगलिक कार्य होता है या फिर गृह प्रवेश होता है तो कुमकुम, रोली से स्वास्तिक बनाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार स्वास्तिक का चिह्न बनाने से शुभ और सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। साथ ही घर में सुख-समृद्धि और वैभव आता है।
काला स्वास्तिक
काला स्वास्तिक व्यक्ति को हर तरह की बुरी नजर से बचाता है। यह बहुत ही उपयोगी होता है जब घर पर किसी की बुरी नजर हो, तब इसे वास्तु के अनुसार घर में बनाने से बुरी नजर से व्यक्ति बचता है। इसलिये अधिकतर घरों के बाहर मुख्य द्वारा पर कोयले से स्वास्तिक का चिन्ह बनाया जाता है। मुख्य द्वार की दीवार पर काले स्वास्तिक के चिन्ह को बनाने से आपके घर पर किसी भी व्यक्ति की बुरी नजर का प्रभाव नहीं होगा।
बुरे सपनों के लिये करें ये उपाय
अगर किसी व्यक्ति को रात में सोते समय बुरे सपने आते हैं तो सोने से पहले अपनी तर्जनी उंगली से लाल स्वास्तिक का चिह्न बनाकर सोयें। अगर आप इस उपाय को करके सोयेंगे तो आपको बुरे सपनों से निजात मिल सकता है।
अशुद्ध जगहों पर भूलकर भी ना बनायें स्वास्तिक
स्वास्तिक शास्त्रों के अनुसार बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इसलिये जब भी आप स्वास्तिक बनाये तो उस जगह पर स्वच्छ व शुद्ध स्थान का ही चुनाव करें। क्योंकि अशुद्ध स्थान जैसे शौचालय या फिर किसी गंदगी वाले स्थान पर स्वास्तिक बनाने से आपकी बुद्धि और विवेक भ्रष्ट हो सकता है। अशुद्ध जगहों पर स्वास्तिक बनाना निषेध माना जाता है।