फलाहार रखने का होता है वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व, आखिर व्रत में अन्न क्यों त्यागते हैं लोग

फलाहार रखने का होता है वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व, आखिर व्रत में अन्न क्यों त्यागते हैं लोग

लाइव हिंदी खबर :-कुछ भक्त पहले और अंतिम दिन का व्रत और निराजली रखते हैं और कुछ भक्त पूरे नौ दिनों तक अन्न त्यागकर निराजली और फलाहार रखते हैं। आइए जानते है कि इतने दिनों तक भक्त अन्न त्यागकर फलाहार क्यों रखते हैं। इतना ही नहीं पूरे नौं दिनों तक लोग प्याज, लहसून, अंडा, मांस और मदिरा के सेवन से क्यों दूर रहते हैं।

नवारत्रि में व्रत का महत्व

नवरात्रि में लोग अक्सर दो तरह के लोग व्रत रखते हैं। पहला, नवरात्रि के पहले और अंतिम दिन और दूसरा पूरे नवरात्रि व्रत रखते हैं। इस व्रत में कुछ लोग निराजली और कुछ लोग फलहारी होते हैं। यानी दोनों में ही लोग अन्न से दूर रहते है। नवरात्रि में हर दिन उपवास अपने आप में महत्व रखता है। व्रत को आत्‍मसात और अनुकरण से जोड़कर भी देखा जाता है। जिससे आत्‍म-अनुशासन और मन की शक्ति बढ़ती है। इसके अलावा मां को प्रसन्न और अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए व्रत रखते हैं। अध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से व्रत किसी भी मानव के लिए लाभदायक होता है।

अध्यात्मिक महत्व

पूरे नवरात्रि के दौरान व्रत रखने और तन-मन से माता की पूजा-पाठ करने से माता के बेहद ही करीब माना जाता है।  इसके अलावा आध्‍यात्मिक शुद्धिकरण और इच्‍छाशक्ति दृढ़ होती है। अध्यात्मिक तरीके अन्न त्यागकर सिर्फ फलाहार पर निर्भर रहते हैं वो खुद को ईश्‍वर के करीब महसूस करते हैं।

वैज्ञानिक महत्व

धर्म और विज्ञान दोनों का अपना महत्व होता है। दोनों के मत अलग-अलग होते हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से नौ दिनों तक का व्रत भी मनुष्य की स्मृति और दृढ़ शक्ति को बढ़ाता है। जो लोग व्रत नहीं रहते वो नवरात्रि के दौरान लहसून, प्याज, मांस, सिगरेट, शराब आदि के सेवन से दूर रहते हैं। क्योंकि हिंदू धर्म में मदिरा का सेवन को बुरा माना जाता है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि मौसम का रुख बदलने से व्रत रखना लाभदायक माना जाता है। मांस, अण्डा, प्याज और लहसुन जैसी चीजों का सेवन ना करने से आप नकारात्मक विचारों और कार्यों से दूर रहेंगे। हल्का और सादा भोजन ग्रहण करने से हमेशा आपकी सोच स्वस्थ्य और सकारात्मक रहेगी। क्योंकि ये चारी चीजें नकारात्मकता को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।  इस समय शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बहुत ही कम हो जाती है जिस वजह से हम बीमारियों से घिर सकते है। ऐसे में ऐसे चीजों से लोगों को बचना चाहिए।

अन्न से दूर क्यों रहते हैं लोग

नवरात्रि के दौरान लोग अन्न ग्रहण नहीं करते हैं। इसके अलावा नमक की जगह सेंधा नमक का प्रयोग करते हैं। बता दें कि भोजन भी तीन प्रकार के होते हैं, पहला तामसिक, दूसरा राजसिक और तीसरा सात्विक भोजन है। हम हल्‍का भोजन खाना पसंद करते है जो पौष्टिक तत्‍वों से भरपूर होने के साथ ही आसानी से पच जाता है। अनाज खासकर साबूत अनाज जैसे बाजरा, गेंहू और आदि। इन्‍हें पचाना बहुत मुश्किल होता है और इससे पाचन तंत्र धीमा पड़ जाता है। इसल‍िए व्रत के दौरान ज्‍यादा से ज्‍यादा डेयरी प्रॉडक्‍ट, फल, जूस और हल्‍की सब्जियों का सेवन करना फायदेमंद होता है।

क्यों खाते हैं कुट्टू का आटा

लोग गेंहूं का आटा त्यागर कुट्टू का आटा खाते हैं। क्योंकि इसमें भरपूर प्रोटीन होता है और ये ग्लूटेन मुक्त होता है। इसके अलावा इसमें मैग्नीशियम, विटामिन-बी, आयरन, कैल्शिम, फॉलेट और फास्फोरस भरपूर मात्रा में होता है। इसलिए व्रत में लोगों की पहली पसंद कुट्टू का आटा होता है।

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