लाइव हिंदी खबर :- बांग्लादेश में 12 फरवरी को आम चुनाव होने जा रहा है, जो पिछले डेढ़ साल से जारी राजनीतिक अस्थिरता के बीच आयोजित किया जाएगा। पिछले साल देश में तख्तापलट के बाद से राजनीतिक माहौल तनावपूर्ण रहा है और अब पहली बार मतदान की तारीख तय की गई है, जिससे देश में लोकतंत्र फिर से सक्रिय होने की उम्मीद जगी है।

मुख्य सवाल यह है कि क्या प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी आगा-ही बाटी यूनाइटेड इस चुनाव में पूरी ताकत से भाग ले पाएगी या नहीं। पिछले डेढ़ साल में विपक्षी और सत्ताधारी दलों के बीच तनाव, विरोध प्रदर्शन और राजनीतिक नीतियों को लेकर खो-खो सी स्थिति रही है, जिसने चुनावी भागीदारी को प्रभावित किया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि चुनाव की सफलता काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगी कि क्या सभी बड़े राजनीतिक दल खासकर हसीना की पार्टी और विपक्ष चुनाव में पूरी तरह भाग लेते हैं या फिर बहिष्कार करते हैं। पिछले कुछ महीनों में विरोधी दलों ने चुनाव को लेकर असंतोष जताया है।
बंगाल की जनता, खासकर युवा मतदाता, इस चुनाव को लेकर उत्साहित भी हैं और चिंतित भी। कुछ का मानना है कि यह चुनाव देश में स्थिरता और आर्थिक विकास को आगे बढ़ाएगा, जबकि कुछ लोग इसे “एकतरफा और निष्पक्षता से रहित चुनाव” के रूप में देख रहे हैं।
विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि देश की सेना और सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका चुनावी माहौल को प्रभावित कर सकती है। पिछले साल के तख्तापलट के बाद राजनीतिक संतुलन बदल गया है और विपक्ष को यह जांचना होगा कि क्या वे पूरी क्षमता से पार्टिसिपेट कर पाएंगे।
12 फरवरी का चुनाव बांग्लादेश के लिए एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है या तो लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करेगा, या फिर राजनीतिक विभाजन को और गहरा। जनता की निगाहें अब इस मतभेद से ऊपर उठकर वास्तविक विकास और शासन सुधार पर टिक गई हैं।