लाइव हिंदी खबर :- महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार को बारामती की सेशंस कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा जारी की गई प्रक्रिया को रद्द कर दिया है। डिप्टी CM अजित पवार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत पाटिल ने सेशंस कोर्ट में पक्ष रखा और मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश को चुनौती दी।

सुनवाई के दौरान अधिवक्ता प्रशांत पाटिल ने दलील दी कि मजिस्ट्रेट कोर्ट का आदेश कानूनन टिकाऊ नहीं है और उसमें न्यायिक विवेक का अभाव है। उन्होंने कहा कि बिना तथ्यों और कानूनी पहलुओं की ठीक से जांच किए प्रक्रिया जारी करना न्यायिक व्यवस्था के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
प्रशांत पाटिल ने अपने तर्कों के समर्थन में बॉम्बे हाईकोर्ट के कई महत्वपूर्ण फैसलों का हवाला दिया। उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालय पहले भी इस तरह की प्रथाओं की आलोचना कर चुका है, जहां पर्याप्त जांच और विचार किए बिना आरोपियों के खिलाफ प्रक्रिया जारी कर दी जाती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ये सभी न्यायिक मिसालें अजित पवार के मामले में सीधे तौर पर लागू होती हैं।
सेशंस कोर्ट ने अधिवक्ता पाटिल की दलीलों से सहमति जताते हुए माना कि मजिस्ट्रेट कोर्ट का आदेश उचित कानूनी जांच के बिना पारित किया गया था। कोर्ट ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के खिलाफ प्रक्रिया जारी करने से पहले न्यायालय को पूरे मामले पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
इन दलीलों को स्वीकार करते हुए बारामती सेशंस कोर्ट ने मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया और उपमुख्यमंत्री अजित पवार को राहत प्रदान की। इस फैसले को अजित पवार के लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी जीत माना जा रहा है।