बेटे की याद में बना था मंंदिर, 125 साल पुराने गणेशजी के दर्शन के बिना अधूरा है गणेशोत्सव

बेटे की याद में बना था मंंदिर, 125 साल पुराने गणेशजी के दर्शन के बिना अधूरा है गणेशोत्सव

लाइव हिंदी खबर :-प्रथम पूजनीय गणेश से जहां लोग अपने मन की कामना को मांगने आते हैं वहीं कुछ लोग अपने घर की सुख-शांति के लिए बप्पा का दर्शन करते हैं। मन की मुराद को पूरा करने के लिए लोग किसी भी गणेश मंदिर में ना सिर्फ दर्शन करने जाते हैं बल्कि विधि-विधान से उनकी पूजा-अर्चना भी करते हैं। आज हम आपको भगवान गणेश की एक ऐसी ही मंदिर के बारे में बताएंगे जिनके दर्शन के बिना गणेश चतुर्थी को अधूरा माना जाता है।

पुणे में है दगडूशेठ हलवाई मंदिर

महाराष्ट्र और पुणे के लोगों में दगडूशेठ हलवाई मंदिर के लिए काफी विश्वसनीयता है। रोजाना तौर पर इस मंदिर में लोग अपनी मनोकामना मांगने आते हैं। हर गणेशोत्सव पर यहां पर भक्तों का तांता लगा रहता है। मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने से लोगों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। आप भी इस गणेश चतुर्थी पर पुणे के इस मंदिर का दर्शन कर सकते हैं।

बेटे की याद में बनाया था मंदिर

दगडूशेठ हलवाई मंदिर भारतीय इतिहास में 125 साल पुराना है। बताया जाता है कि पुणे में दगडूशेठ हलवाई ने अपनी दुकान खोली और उसका बिजनेस सक्सेसफुल हो निकला। फिर एक दिन अचानक से उनके जवान बेटे की प्लेग से मौत हो गई। इस सदमें से दगडूशेठ को झटका लग गया। बहुत दिनों तक वो सदमें में थे फिर एक संत ने उनसे कहा कि आप एक गणेश मंदिर का निर्माण करवा दें। उन्होंने सलाह मानकर अपने मन की और शहर की शांति के लिए इस मंदिर का निर्माण करवाया। इसके बाद इसकी लोकप्रियता लगातार बढ़ती गई। आज आलम ये है कि भक्तों को घंटों लाइन में लगना पड़ता है तब कही गणपति के दर्शन होते हैं।

कैसे पहुंचे मंदिर तक

आप रेल मार्ग के अलावा हवाई मार्ग से भी पुणे तक पहुंच सकते हैं। रेलवे स्टेशन से इस मंदिर की दूर 5 किमी तक की है जबकि एयरपोर्ट से ये 12 किमी दूरी पर है।

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