लाइव हिंदी खबर :-रक्षाबंधन पर सभी बहनों को अपने भाई को राखी बांधने का बेसब्री से इन्तजार होता है। सुबह से ही बहनें इस खास दिन की तैयारी में लग जाती हैं।
बहनें अपने भाईयों के लिए स्वादिष्ट पकवान बनाएंगी। भाई भी बहनों को प्यार बहरा शगुन या तोहफा देकर उसे खुश करने की तैयारी में रहते हैं। लेकिन सारी तैयारी होने के बावजूद भी बहनें रक्षासूत्र एक खास समय में ही बांधती हैं।
राखी बांधने के लिए सबसे पहले शुभ मुहूर्त और दूसरा भद्राकाल का समय जानना बेहद जरूरी होता है। बहनें शुभ मुहूर्त में ही राखी बांधना चाहती हैं और भद्राकाल के समय में रक्षासूत्र बांधने से परहेज करती हैं। लेकिन अकहिर ये भद्राकाल क्या होता है? क्यों इसमें राखी बाँधना अशुभ माना जाता है?
भद्राकाल क्या है?
हिन्दू धर्म में भद्रा और सूतक के संयोग को भद्राकाल कहा जाता है और इसे अशुभ क्यों माना गया है इसके पीछे दो कहानियां प्रचलित हैं। पहली कहानी के अनुसार दैत्य रावण की बहन सूर्पनखा ने अपने भाई को भद्राकाल में राखी बांधी थी। इसके बाद कारण रावण का सर्वनाश हुआ था। इसलिए इस समय को अशुभ माना जाता है।
दूसरी कहानी के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि भद्राकाल के दौरान ही भगवान शिव तांडव करते हैं। तांडव के दौरान वे बेहद करोड़ में होते हैं और इस समय कोई भी शुभ कार्य करना निष्फल माना जाता है। इसलिए इस दौरान बहनें अपने भाई को राखी नहीं बांधती हैं।
इस तरह बांधें भाई को राखी
थाली में कुमकुम के प्रयोग से सबसे पहले ‘स्वास्तिक’ का निशान बनाएं। अब हाथ में थोड़ा कुमकुम लेते हुए भाई को सबसे पहले तिलक लगाएं। तिलक के ऊपर अक्षत लगाएं और कुछ अक्षत भाई के सिर के ऊपर भी फेंकें। ऐसा करना शुभ माना जाता है। इसके बाद राखी बांधे, मिठाई खिलाएं और भाई से अपनी रक्षा करने का संकल्प लें।
इसदिन कुछ बहनें व्रत भी रखती हैं। कुछ निर्जला उपवास करती हैं तो कुछ सामान्य फलाहार लेते हुए व्रत के नियमों का पालन करती हैं। लोग कहते हैं कि रक्षाबंधन पर बहने ही व्रत कर सकती हैं, लेकिन ऐसा नहीं हैं। भाई चाहें तो वे भी बहन के सुख के लिए व्रत कर सकते हैं। रक्षाबंधन के दिन पूर्णिमा तिथि होती है इसलिए इसदिन कोई भी व्रत करे, उसे शुभ ही माना जाता है।