भारत के इस अनोखे मन्दिर में मिलता है नूडल्स का प्रसाद, सालों पुराना है नूडल्स का इतिहास

भारत के इस अनोखे मन्दिर में मिलता है नूडल्स का प्रसाद, सालों पुराना है नूडल्स का इतिहास लाइव हिंदी खबर :-ऑफिस से थक कर आये हों या घर के काम के चलते अपने लिए कुछ टेस्टी खाना नहीं बना पा रहे हों, ऐसे में खाने का सबसे अच्छा ऑप्शन होता है इंस्टेंट नूडल्स। ये कम समय में भी बन जाते हैं और टेस्टी भी होते हैं। नूडल्स आज हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुके हैं। ये झटपट तैयार हो जाते हैं और हर छोटी भूख को मिटाने का काम करते हैं। लेकिन क्या आपने सोचा है कि नूडल्स कहां से आया? इसकी खोज भारत में हुई या ये विदेश से यहां आया?

कुछ लोगों का मानना है कि नूडल्स का ये सफर पड़ोसी देश चाइना से शुरू हुआ। वहीं कुछ लोग ये भी कहते हैं कि सबसे पहला नूडल्स इटली में बनाया गया था। आज हम आपको नूडल्स के ऐसे ही पुराने किस्से सुनायेंगे और बतायेंगे इसका इतिहास। साथ ही भारत देश के एक ऐसे मंदिर के बारे में भी बताएंगे जहां प्रसाद के रूप में नूडल्स मिलता है।

तीसरी शताब्दी में मिलता है सबसे पुराना नूडल्स का इतिहास

दुनिया में सबसे पुराने नूडल्स की बात करें तो यह चाइना के सबसे पुराने शब्दकोश में मिलता है। वैसे तो चाइना, इटली और अरब देशों के बीच नूडल्स को बनाने को लेकर काफी मत हैं लेकिन चाइना की 25 और 220 वीं सदी में लिखी गयी एक किताब में भी नूडल्स का जिक्र मिलता है। आज के समय में भले ही नूडल्स देश और दुनिया के हर कोने में मिलता हो लेकिन इसका इतिहास 4 हजार साल से भी अधिक पुराना है। पुराने नूडल्स की बात करें तो ये पीले रंग के मोटे से हुआ करते थे। माना जाता है कि इन्हें चने से बनाया जाता था। धीरे-धीरे इन नूडल्स को दुनिया भर में प्रसिद्धी मिलने लगी और ये स्वादिष्ट पकवान लोगों के घर और मन में अपनी जगह बनाने में सफल हुआ।

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चावल का बेहतरीन ऑप्शन

चूंकि चाइना में चावल खाने का प्रचलन प्राचीन समय से रहा है। हर डिश के साथ चाइना में चावल को जरूर खाया जाता है। यही कारण है कि चावल की जगह बहुत तेजी से इस नूडल्स ने ले ली। आज भी चाइना के हर घर में ज्यादातर व्यंजनों के साथ या तो चावल या नूडल्स को जरूर सर्व किया जाता है।

भारत के इस मंदिर में मिलता है नूडल्स का प्रसाद

कोलकाता के टंगरा में स्थित काली माता के मंदिर में आज भी प्रसाद के रूप में नूडल्स मिलता है। बताया जाता है कि ब्रिटिश काल में व्यापार करने के दौरान कुछ चाइनीज यहां बस गए थे जिसके बाद इस जगह को चाइना टाउन कहा जाने लगा। इस मंदिर की एक खास बात यह है कि यहां आने वाले लोगों को प्रसाद में नूडल्स, चावल और सब्जियों से बनी करी परोसी जाती है। यह अपने आप में देश का एक अनोखा मंदिर है।

आपको बता दें कि यह देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां स्थानीय चीनी लोग पूजा करते हैं। यहीं नहीं, दुर्गा पूजा के दौरान प्रवासी चीनी लोग भी इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं। यहां आने वालों में ज्यादातर लोग बौद्ध धर्म से संबंध रखते हैं। वैसे यहां पूजा करने वालों में हिन्दू भी शामिल हैं। यह मंदिर भारतीय और चाइनीज संस्कृति के बीच एक सेतु का काम भी करता है।

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