लाइव हिंदी खबर :- मिस्र ने इतिहास का नया अध्याय लिख दिया है। गीजा के पिरामिडों के पास ग्रैंड इजिप्शियन म्यूजियम (GEM), दुनिया का सबसे बड़ा संग्रहालय, शनिवार को आम जनता के लिए खोल दिया गया।
उद्घाटन समारोह में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सीसी के साथ कई देशों के नेता शामिल हुए। इस म्यूजियम को बनाने में 1 अरब डॉलर से अधिक की लागत आई है।

म्यूजियम की सबसे बड़ी आकर्षण तूतनखामेन की कब्र
GEM की सबसे खास प्रदर्शनी मिस्र के प्रसिद्ध ‘बॉय किंग तूतनखामेन’ की कब्र है। 1922 में ब्रिटिश पुरातत्वविद् हावर्ड कार्टर ने इसे खोजा था। इस कब्र से 5500 से अधिक प्राचीन वस्तुएं मिली थीं, जो अब पहली बार एक ही स्थान पर प्रदर्शित की जा रही हैं।
तूतनखामेन सिर्फ 9 वर्ष की उम्र में मिस्र का फिरौन बना था और 18-19 वर्ष की उम्र में उसकी मृत्यु हो गई थी। उसका शासनकाल 1332–1323 ईसा पूर्व के बीच रहा। यह कब्र 3000 वर्षों तक दबकर छिपी रही, क्योंकि इसे चट्टानों और मलबे ने ढक दिया था।
कब्र खोजने वालों की रहस्यमयी मौतें
26 नवंबर 1922 को जब कार्टर ने तूतनखामेन की कब्र का ताला तोड़ा, तो उसके बाद कई रहस्यमयी घटनाएं घटीं। ब्रिटिश लॉर्ड कार्नार्वन, जिन्होंने इस खोज में निवेश किया था, सबसे पहले अंदर गए। कुछ महीनों बाद 5 अप्रैल 1923 को वे अचानक बीमार पड़कर मर गए। उसी समय काहिरा में बिजली गुल हो गई और इंग्लैंड में उनकी पालतू कुतिया सूसी ने तीन बार भौंककर दम तोड़ दिया।
इसके बाद एक-एक कर 4 और लोगों की मौत हुई—
- आर्चिबाल्ड डगलस रीड, जिन्होंने ममी का एक्स-रे किया था, अज्ञात बीमारी से मौत।
- ह्यू एवेलिन व्हाइट, खुदाई में शामिल पुरातत्वविद् आत्महत्या कर ली, खून से लिखा कि मैं श्राप के अधीन हूं।
- आर्थर माचेन्थ, कार्टर की टीम के सदस्य अचानक स्वास्थ्य बिगड़ने से मौत।
- सर ली ब्रूस, कब्र का दस्तावेजीकरण करने वाले रहस्यमय हालत में मृत पाए गए।
कुछ ही समय बाद अमेरिकी अरबपति जॉर्ज गोल्ड और कार्नार्वन के सौतेले भाई ऑब्रे हर्बर्ट की भी मौत हो गई।
विज्ञान ने खोला रहस्य
नवीन DNA और फोरेंसिक रिपोर्टों के अनुसार, इन मौतों के पीछे कोई फराओ का श्राप नहीं था। 2023 की जर्नल ऑफ आर्कियोलॉजिकल साइंस रिपोर्ट के मुताबिक कब्र की दीवारों पर मौजूद बैक्टीरिया और फंगस कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों के फेफड़े संक्रमित कर देते थे।
50 हजार से ज्यादा ऐतिहासिक वस्तुएं
GEM में 50000 से अधिक प्राचीन धरोहरें प्रदर्शित की गई हैं, जिनमें शामिल हैं —
- 83 टन वजनी 3200 साल पुरानी रामेसेस द्वितीय की मूर्ति
- 4500 साल पुरानी खुफू की नाव, जो पिरामिड बनाने वाले फिरौन से जुड़ी है।
यहां 12 मुख्य गैलरियां हैं जो प्रागैतिहासिक काल से रोमन युग तक मिस्र के इतिहास को थीम के आधार पर प्रदर्शित करती हैं। इसके अलावा बच्चों का म्यूजियम, शिक्षा केंद्र, बड़ा संरक्षण केंद्र और व्यावसायिक जोन भी बनाया गया है।
पर्यटन में नई जान
म्यूजियम का क्षेत्रफल 5 लाख वर्ग मीटर (करीब 70 फुटबॉल मैदानों के बराबर) है। यह गीजा के पिरामिडों से एक मील दूर स्थित है और पिरामिड के आकार का विशाल प्रवेश द्वार इसकी पहचान है। पर्यटन मंत्रालय को उम्मीद है कि हर साल 80 लाख से ज्यादा पर्यटक इसे देखने आएंगे। यह न सिर्फ मिस्र की संस्कृति और इतिहास का प्रतीक बनेगा, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी एक नया स्वर्ण युग लेकर आएगा।