लाइव हिंदी खबर :- राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को सदन में अपने संबोधन के दौरान पूर्व सभापति के अचानक इस्तीफे का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि राज्यसभा के सभापति का पद बेहद गरिमा-पूर्ण होता है और उनका अचानक व अप्रत्याशित तरीके से पद छोड़ना संसदीय इतिहास में एक असाधारण घटना के रूप में दर्ज होगा।

खड़गे ने कहा कि सभापति पूरे सदन के संरक्षक होते हैं, न केवल सरकार के बल्कि विपक्ष के भी। इसलिए उनके कार्यकाल से जुड़ा हर निर्णय सदन के सभी सदस्यों को प्रभावित करता है। उन्होंने यह कहते हुए दुख व्यक्त किया कि सदन को पूर्व सभापति को औपचारिक विदाई देने का अवसर नहीं मिला, जो संसदीय परंपराओं के अनुसार हमेशा एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया मानी जाती है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि विपक्ष के सभी सदस्यों की ओर से वह पूर्व सभापति के स्वस्थ और दीर्घायु जीवन की कामना करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि संसद की परंपराएँ और गरिमा केवल नियमों से नहीं, बल्कि आपसी सम्मान और संवाद से भी बनती हैं, और सभापति का पद इसी भावना का प्रतीक होता है। खड़गे के इस वक्तव्य को राजनीतिक हलकों में एक महत्वपूर्ण टिप्पणी के रूप में देखा जा रहा है।
क्योंकि उन्होंने सभापति के अचानक त्यागपत्र पर प्रश्न नहीं उठाया, लेकिन घटना को अभूतपूर्व बताते हुए स्पष्ट किया कि यह सदन की कार्यप्रणाली पर असर डालने वाली स्थिति है। उनकी इस टिप्पणी ने विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच संबंधों तथा सदन के संचालन की परंपराओं पर एक बार फिर चर्चा छेड़ दी है। सदन में खड़गे के बयान के बाद कई सदस्यों ने भी इस विषय पर सहमति जताई कि पूर्व सभापति को सम्मानजनक विदाई का अवसर न मिलना वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण रहा।