लाइव हिंदी खबर :- ब्लैक सी में शनिवार को रूस के दो ऑयल टैंकर विराट और कैरोस पर पानी के अंदर चलने वाले सी-बेबी ड्रोन से हमला किया गया। यूक्रेन ने इस ऑपरेशन की जिम्मेदारी लेते हुए दावा किया कि ये दोनों जहाज रूस की ‘शैडो फ्लीट’ का हिस्सा थे और दूसरे देशों के झंडे लगाकर रूसी तेल की ढुलाई करते थे ताकि अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से बच सकें।

हमला पहले ‘विराट’ पर हुआ, जिस पर शुक्रवार को भी धमाका हुआ था। शनिवार को हुए दूसरे हमले में टैंकर को हल्का नुकसान पहुंचा, लेकिन तुर्किये के मुताबिक जहाज पर मौजूद सभी लोग सुरक्षित हैं। हमला तुर्किये के तट से लगभग 30 मील दूर हुआ। हमले के तुरंत बाद विराट के चालक दल ने ओपन रेडियो फ्रीक्वेंसी पर मेडे कॉल दी और बार-बार कहा कि यह विराट है, मदद चाहिए! ड्रोन हमला! मेडे, मेडे, मेडे!
दूसरा हमला कैरोस नामक ऑयल टैंकर पर हुआ। ड्रोन के टकराते ही जहाज में आग लग गई। हालांकि इसमें मौजूद 25 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। हमले के वक्त दोनों जहाज गाम्बिया के झंडे लगे हुए थे, लेकिन वे रूसी तेल ही ले जा रहे थे। अंतरराष्ट्रीय पानी में ऑपरेट करने वाली रूस की यह शैडो फ्लीट अक्सर अलग-अलग देशों के झंडों का इस्तेमाल कर तेल भेजती रही है।
यूक्रेन की ओर से जारी बयान में कहा गया कि यह हमला रूस की उस व्यवस्था को निशाना बनाने के लिए किया गया, जिसके जरिए वह प्रतिबंधों को दरकिनार कर तेल का व्यापार जारी रखता है। ब्लैक सी में पिछले कुछ महीनों में इस तरह के ड्रोन हमले बढ़े हैं और यह रूस-यूक्रेन युद्ध का एक नया समुद्री मोर्चा बनकर उभरा है। रूस ने इन हमलों को समुद्री आतंकवाद बताया है और कहा है कि इसका जवाब दिया जाएगा। वहीं तुर्किये ने शिपिंग रूट की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है और स्थिति पर करीब से नजर रखे हुए है।