लाइव हिंदी खबर :-इन बातों को रखें खास ध्याल…
सिंदूर और कुमकुम शिवलिंग पर कभी नहीं चढ़ाना चाहिए। अनेक शास्त्रों में शिवजी के लिए हल्दी भी वर्जित बताई गई है। शिवजी की पूजा में अबीर, गुलाल, अक्षत का इस्तेमाल किया जाता है। क्योंकि सिंदूर और कुमकुम सौभाग्य के प्रतीक हैं और शिव श्मशान निवासी वैरागी हैं।
— भगवान शिव को जल ही अर्पित के लिए तांबा, पीतल, कांसा, चांदी या अष्टधातु के लोटे का प्रयोग करना चाहिए। लोहे या स्टील के बर्तन से शिवजी पर कभी जल ना चढ़ाएं।
— शिवजी को केतकी, केवड़े के पुष्प अर्पित नहीं किए जाते हैं। सबसे खास बात शिवजी को स्नान करवाते समय कभी भी उन्हें अंगूठे से नहीं रगड़ना चाहिए।
— इसी तरह यदि शिवलिंग पर दूध अर्पित कर रहे हैं तो उसके लिए चांदी, पीतल का लोटा ही प्रयुक्त करना चाहिए। शिवजी पर भूल से भी दूध तांबे के कलश से नहीं चढ़ाना चाहिए।
— शिवजी को चावल के टुकड़े अर्पित नहीं किए जाते हैं। उन्हें अक्षत अर्थात् पूर्ण चावल अर्पित किए जाते हैं।
— भगवान भोले की पूजा में तुलसी नहीं रखी जाती है। शिवजी को बिल्वपत्र अर्पित किया जाता है। इसी तरह भगवान विष्णु को बिल्वपत्र नहीं चढ़ाया जाता है, उन्हें तुलसी चढ़ाई जाती है।
— शिवजी की पूजा में शंख भी वर्जित है। शंख का स्पर्श शिवलिंग से कभी नहीं होना चाहिए और ना ही शंख से शिवलिंग पर जल अर्पित किया जाता है।
शिवलिंग पर जलाभिषेक करने का सही तरीका…
सबसे पहले शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाएं। इसके बाद पंचामृत चढ़ाएं। फिर दूध, दही, शहद, घी, शक्कर चढ़ा दें और फिर गंगाजल से स्नान कराएं। इसके बाद शिवलिंग में चंदन का लेप, बेलपत्र, कनेर, श्वेतार्क, सफेद आखा, धतूरा, कमलगट्टा, गुलाब, नील कमल, पान आदि चढ़ा दें। जलाभिषेक करते समय भगवान शिव के मंत्र या फिर सिर्फ ‘ऊं नम: शिवाय’ का जाप करते रहें। इसके बाद दीपक, अगरबत्ती जलाकर आरती कर दें। आरती करने के बाद भगवान शिव के सामने अपनी भूल-चूक के लिए माफी भी मांग लें।