लाइव हिंदी खबर :-मंगल को जहां देवसेनापति माना जाता है, वहीं इस दिन के कारक देव स्वयं श्री राम भक्त हनुमान जी हैं। ऐसे में आज हम आपको दो खास बातें धार्मिक व वैज्ञानिक तौर पर बताने जा रहे हैं, ऐसे में जहां वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इस मंगलवार को मंगल से मंगल का सामना होने जा रहा है, वहीं अध्यात्मिक तौर पर इस दिन श्री हनुमान को प्रसन्न करने की विधि के बारे में भी जान लें…
खतरा है बड़ा
वहीं ज्योतिष के जानकारों का मानना है कि अभी मंगलवार को मंगल का दिखना दुनिया में युद्धों के बढ़ने व विवादों के बढ़ने का भी संकेत है। कुछ मिलाकर मंगल का इस समय मंगल के ही दिन सूर्य के अस्त के समय दिखना दुनिया में युद्ध टकराहटों के बढ़ने के साथ ही प्राकृतिक आपदा आने के भी संकेत हैं। ऐसे में इन समस्याओं से निपटने के लिए श्री हनुमान की अराधना को सबसे उचित उपाय माना जा रहा है।
वहीं पंडित सुनील शर्मा के अनुसार इस दिन परम एकादशी है, साथ ही अध्यात्म में इस दिन मंगलवार होने के चलते श्री हनुमान जी का दिन माना गया है। ऐसे में श्री हनुमान को प्रसन्न करने के लिए यह खास दिन भी माना जाता है। वहीं ये भी मान्यता है कि श्री राम जी के परम भक्त श्री हनुमान जी का जन्म भी मंगलवार को ही हुआ था।
हनुमान जी को प्रसन्न करने का उपाय :-
: मंगलवार का व्रत रखने से जीवन में कभी-भी अमंगल प्रवेश नहीं करता है। इस दिन गुड़, चना, और लड्डू का भोग लगाने से और लाल रंग के कपड़े पहनने से हनुमान जी प्रसन्न होते है। साथ ही मंगल और शनि ग्रह से छुटकारा मिलता है।
: वहीं शनिवार के दिन हनुमान जी के मंदिर में जाएं। उनके कंधों पर से सिन्दूर लाकर नजर लगे व्यक्ति को लगाएं। नजर का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
केवड़े का इत्र व गुलाब की माला शनिवार को शाम के समय हनुमान जी को चढ़ाएं। इससे हनुमान जी प्रसन्न होते हैं।
: मंगलवार के अदन राम नाम की माला से अति प्रसन्न होते है हनुमान जी, हनुमान मंदिर में जाकर पीपल के पत्तो की माला पहनाएं। ध्यान रहे की हर पत्ते में श्री राम का नाम लिखा हो।
: श्री राम का सेवक हनुमान जी को कहा जाता है। इसलिए आप जितना ज्यादा श्री राम की भक्ति करेंगे उतना ही प्रसन्न हनुमान जी आपके ऊपर होंगे।
तुलसी के माला पहनाकर भी आप हनुमान जी को प्रसन्न किया जा सकता है।
वैज्ञाानिक पक्ष से बात करें तो सारिका के अनुसार मंगल और पृथ्वी हर 26 माह बाद एक दूसरे के पास आ जाते हैं। दोनो ग्रहों के अंडाकार पथ में घूमने के कारण और पृथ्वी और मंगल की कक्षा कुछ डिग्री से झुकी होने के कारण इस दूरी का मान घटता-बढ़ता रहता है। 2003 में हम मंगल के जितने नजदीक थे, उतनी नजदीकी तो अब 2287 में आ पाएगी। वहीं हर दो साल में आने वाली नजदीकी के समय मंगल पर अंतरिक्ष अभियान भेजने का सबसे अच्छा समय होता है।
इसके अलावा इस समय आकाश में 20 साल बाद गुरु और शनि भी अपनी नजदीकियां बढ़ा रहे हैं, इसलिये शाम को आकाष में जब आप सिर उठा कर उपर देखेंगे तो चमकता गुरु और उसके साथ जोड़ी बनाता शनि दिखेगा। इसके साथ ही पूर्व दिशा में लालिमा के साथ तेज चमकता नजदीकी मंगल भी दिखाई देगा। चंद्रमा भी इस समय देर रात को उदित होगा, इसलिये उसकी चमक भी इन्हें देखने में बाधा नहीं बनेगी।