लाइव हिंदी खबर :-शास्त्रों में लिखा है कि व्यक्ति को उसके कर्म के अनुसार फल की प्राप्ति होती है। सनातन धर्म में इस बात पर काफी जोर भी दिया जाता है, इसलिये ही लोग अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देते हैं। जिससे की उनका जीवन सफल हो जाये। अच्छे कर्म के पीछे एक पौराणिक कथा मिलती है जिसका पुराणों में जिक्र मिलता है। यह कहानी कौए से संबंधित है। आखिर कैसे कौआ काला हुआ और उसे अशुभ पक्षी क्यों माना जाता है। आइए जानते हैं…
सफेद रंग का हुआ करता था कौआ
पौराणिक कथा के अनुसार, कौआ पहले सफेद हुआ करता था। लेकिन एक बार एक ऋषि ने कौए से अमृत लाने को कहा और उसे निर्देश देते हुए कहा कि कौआ उसका सेवन नहीं करेगा। कौआ उस समय ऋषि की बात मानते हुए अमृत लेने चला गया। इसके बाद कौए ने अमृत पाने के कई प्रयास किये और अंततः उसे अमृत प्राप्त हुआ। लेकिन अमृत को देखकर कौए का मन ललचा गया और उसने उस अमृत का सेवन कर लिया। अमृत को पीते ही कौए को ऋषि द्वारा दिये गये निर्देश व अपनी गलती का बोध हुआ। उसने तुरंत ही ऋषि के समीप पहुंचकर सारी बात कह सुनाई।
ऋषि ने कौए को दिया शाप
ऋषि को कौए की बात पर बहुत गुस्सा आया और उन्होंने कौए को शाप दे दिया। कहा- आज के बाद समस्त मनुष्य जाति तुमसे नफरत करेगी। तुम्हें अशुभ पक्षी के रूप में देखा जाएगा। इसके बाद ऋषि ने कौए को अपने कमंडल के काले पानी में डुबो दिया। मान्यता है तभी से कौए का रंग काला हो गया। यह अपराध क्षमा के लायक नहीं है। ऋषि के शाप देने के बाद कौए ने ऋषि से माफी मांगी। बहुत बार माफी मांगने के बाद ऋषि ने कौए से कहा कि भाद्रपद मास में श्राद्धपक्ष के दौरान 16 दिनों तक मनुष्य जाति कौए को पितरों का प्रतीक मानकर उनका सम्मान करेगी व भोजन करायेगी।
नहीं होगी स्वाभाविक मृत्यु
ऋषि ने कौए को शाप देते समय यह भी कहा कि उसकी कभी भी स्वाभाविक मृत्यु नहीं होगी। उन्होंने कहा कि चूंकि तुमने अमृत का पान कर लिया है तो केवल तुम ही नहीं तुम्हारी पूरी प्रजाति इसका भुगतान करेगी। तुम्हारी प्रजाति की मौत हमेशा ही आकस्मिक रूप से होगी।