लाइव हिंदी खबर :-सनातन संस्कृति के अनुसार कलयुग के एक मात्र दृश्य देव सूर्य देव हैंं। साथ ही सूर्य देव को ही आरोग्य का कारक भी माना जाता है। जयोतिष में जहां सूर्य को आत्मा माना गया है। वहीं इस ग्रह का संबंध आपकी तरक्की से लेकर यश कीर्ति तक माना जाता है।
वर्तमान में जहां देश दुनिया में कोरोना की महामारी फैली हुई है, वहीं लोग इस समय अपने को रोग रहित रखने के लिए कई उपाय अपना रहे हैं। इस संबंध में ज्योतिष के जानकारों का मानना है कि हमारे शास्त्रों में कई ऐसे मंत्र है जिनकी मदद से हम खुद को रोग के दुष्प्रभावों से दूर रह सकते हैं।
इस संबंध में पंडित सुनील शर्मा का कहना है सूर्य को सदैव ही आरोग्य का देवता माना जाता है, वहीं कलयुग में ये एकमात्र दृश्य देव हैं। ऐसे में इनके कई मंत्र ऐसे हैं जिनके संबंध में मान्यता है कि इनका लगातार पाठ हमें रोगी नहीं होने देता।
शास्त्रों के अनुसार सूर्यदेव की आराधना करने व पूरे माघ महीने में उन्हें जल चढ़ाने से आरोग्यता का वरदान मिलता है। वहीं पं. शर्मा के अनुसार भगवान सूर्य नारायण का एक ऐसा मंत्र भी है, जिससे आपको सूर्य देव से आशीर्वाद मिल सकता है।
सामान्यत: हम मकर संक्रांति के दिन सूर्य की मुख्य रूप से पूजा करते है। लेकिन मान्यता है कि साल भर यदि सूर्य की पूजा कोई व्यक्ति करता है तो भगवान दिवाकर उसकी रोगों से रक्षा करते हैं।
ऐसे मिलेगा आरोग्यता का वरदान…
आरोग्य के देवता सूर्य को प्रसन्न करने के वैसे तो कई उपाय हैं, लेकिन माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति हर रोज प्रातकाल स्नान के पश्चात तांबे के लोटे में शुद्ध जल भरकर उसमें लाल पुष्प, लाल चन्दन, तिल आदि डालकर ‘ॐ घृणि सूर्याय नमः‘ मंत्र का जप करते हुए सूर्य को अर्घ्य देता है, तो सूर्य नारायण उसे आरोग्यता के साथ ही अन्य भी कई वरदान प्रदान करते हैं।
माना जाता है कि अर्घ्य देते समय इंसान की दृष्टि गिरते हुए जल में प्रतिबिंबित सूर्य की किरणों पर होनी चाहिए।
हिन्दू धर्मानुसार भगवान सूर्य देव एक मात्र ऐसे देव हैं जो साक्षात दिखाई पड़ते हैं। इनकी विधि-विधान द्वारा पूजा करने से सफलता, मानसिक शांति और शक्ति का संचार होता है। सूर्यदेव जी की पूजा में गायत्री मंत्र के अलावा अन्य कई मंत्रों का प्रयोग किया जाता है।
वहीं भविष्य पुराण के अनुसार सूर्यनारायण का पूजन करने वाला व्यक्ति प्रज्ञा, मेधा तथा सभी समृद्धियों से संपन्न होता हुआ चिरंजीवी होता है।
ऐसा माना गया है कि अगर कोई व्यक्ति सूर्य की मानसिक आराधना भी करता है तो वह समस्त रोगों से रहित होकर सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करता है।
ज्योतिष के अनुसार सूर्य यश का कारक होता है, मान सम्मान में वृद्धि कराता है। अगर कुंडली में सूर्य शुभ होकर कमजोर है तब इसके किसी भी एक मंत्र का जाप करना चाहिए। मंत्र जाप की संख्या 7,000 होनी चाहिए। शुक्ल पक्ष के रविवार से मंत्र जाप आरंभ करने चाहिए।इसमें व्यक्ति अपनी सुविधानुसार इन जापों को निर्धारित समय में पूरा कर सकता है।
: सूर्य वैदिक मंत्र –
ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यण्च ।
हिरण्य़येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन ।।
: सूर्य के लिए तांत्रोक्त मंत्र –
ऊँ घृणि: सूर्यादित्योम
ऊँ घृणि: सूर्य आदित्य श्री
ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय: नम:
ऊँ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नम:।।
: सूर्य नाम मंत्र –
ऊँ घृणि सूर्याय नम:।।
: सूर्य का पौराणिक मंत्र –
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम ।
तमोsरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोsस्मि दिवाकरम ।।
: सूर्य गायत्री मंत्र –
ऊँ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात ।।
: सूर्य देव के मंत्र….
– पुत्र की प्राप्ति के लिए सूर्य देव के इन मंत्रों का जाप करना चाहिए।
: ऊँ भास्कराय पुत्रं देहि महातेजसे।
धीमहि तन्नः सूर्य प्रचोदयात्।।
– हृदय रोग, नेत्र व पीलिया रोग एवं कुष्ठ रोग तथा समस्त असाध्य रोगों को नष्ट करने के लिए सूर्य देव के इस बीज मंत्र का जाप करना चाहिए।
ऊँ हृां हृीं सः सूर्याय नमः।।
– व्यवसाय में वृद्धि करने के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:
ऊँ घृणिः सूर्य आदिव्योम।।