लाइव हिंदी खबर :-माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रथ सप्तमी का पर्व मनाया जा रहा है। रथ सप्तमी को सूर्य सप्तमी, अचला सप्तमी, आरोग्य सप्तमी आदि नामों से भी जाना जाता है। सप्तमी का ये पर्व भगवान सूर्य को समर्पित है।
मान्यता है कि इस दिन किए गए स्नान, दान, पूजा आदि सत्कर्मों का फल हजार गुना बढ़ जाता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि शास्त्रों में सूर्य को आरोग्यदायक माना गया है और रोग मुक्ति के लिए सूर्य आराधना को उपाय के रुप में बताया गया है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण के पुत्र शाम्ब को अपने शारीरिक बल और सौष्ठव पर अभिमान होने लग गया था। इसी अभिमान के कारण शाम्ब ने दुर्वसा ऋषि का अपमान कर दिया, ऋषि ने क्रोध में शाम्ब को कुष्ठ होने का श्राप दे दिया।
भगवान कृष्ण को ऋषि के श्राप के बारे में पता चला तो उन्होनें अपने पुत्र को सूर्य की आराधना करने के लिए कहा। अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए शाम्ब ने सूर्य आराधना शुरू कर दी, जिसके फल के रुप में उसे सूर्य भगवान ने आशीर्वाद दिया। शाम्ब के सभी कष्टों का अंत हो गया।
यही कारण है कि सप्तमी के दिन श्रद्धालु सूर्य की विधिवत आराधना करते हैं और सूर्य को प्रसन्न करके आरोग्य, पुत्र, धन और सुख की प्राप्ति करते हैं। माना जाता है जो लोग सूर्य सप्तमी या रथ सप्तमी के दिन व्रत करते हैं उनके सभी कष्ट मिट जाते हैं।
कहा जाता है कि आज के दिन सूर्य की तरफ मुख करके सूर्य स्तुति करने से शारीरिक चर्मरोग समाप्त हो जाते हैं। इसके अलावे संतान प्राप्ति के लिए भी रथ सप्तमी का व्रत लाभकारी माना जाता है। ग्रहों की क्रूर दशा को समाप्त करने में भी ये व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।