लाइव हिंदी खबर :-हिंदू धर्म में रुद्राक्ष का बहुत अधिक महत्व माना जाता है। कहा जाता है कि जो लोग रुद्राक्ष धारण करते हैं उनपर हमेशा ही भगवान शिव की कृपा बनी रहती है। क्योंकि रुद्राक्ष भगवान शिव के नेत्रों से गिरने वाले जल बूंदों से निर्मित हुआ है।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार रुद्राक्ष पहनने वाले व्यक्ति के पास कभी नकारात्मक शक्तियां नहीं आती हैं। इसके साथ ही जिस घर में रुद्राक्ष की नियमित पूजा होती है वहां कभी भी पैसों की कमी नहीं होती है। लेकिन रुद्राक्ष कई प्रकार के होते हैं और हर एक को धारण करने के कई लाभ भी मिलते हैं। आइए जानते हैं उन लाभों के बारे में…..
एकमुखी रुद्राक्ष
एकमुखी रुद्राक्ष बहुत दुर्लभ माना गया है। इसे धारण करने वाले व्यक्ति अपनी इंद्रियों पर विजय पा सकते हैं।
दोमुखी रुद्राक्ष
दोमुखी रुद्राक्ष अर्धनारीश्वर का स्वरुप होता है, इसे धारण करने से मां पार्वती और शिव दोनों का आशीर्वाद मिलता है और वैवाहिक जीवन में सुख प्राप्ति के लिये दोमुखी रूद्राक्ष बहुत अच्छा माना जाता है।
तीनमुखी रुद्राक्ष
तीनमुखी रुद्राक्ष धारण करने पर अग्निदेव सदा प्रसन्न रहते हैं। इसे पहनने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और ऊर्जा में वृद्धि होती है।
चारमुखी रुद्राक्ष
चारमुखी रुद्राक्ष साक्षात् चतुरानन ब्रह्मस्वरूप है। इसलिये इसे धारण करने वाले व्यक्ति पर हमेशा ही ब्रह्मा जी की कृपा रहती है और लेखन शक्ति के साथ वाक्शक्ति भी अच्छी होती है।
पंचमुखी रुद्राक्ष
पंचमुखी रुद्राक्ष शिव जी का स्वरुप है, इसलिये इसे धारण करने वाले व्यक्ति नरहत्या के दोषों से दूर रहते हैं और ज्ञान-आध्यात्मिक में विकास करते हैं।
छहमुखी रुद्राक्ष
छहमुखी रुद्राक्ष कार्तिकेय का स्वरुप माना जाता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से हर प्रकार के भय से मुक्ति और आरोग्य प्राप्त होता है। शत्रुओं का नाश होता है।
सातमुखी रुद्राक्ष
सातमुखी रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति को कभी धन की कमी नहीं होती है क्योंकि इसे धारण करने वाले व्यक्ति से माता लक्ष्मी प्रसन्न रहती हैं समाज में मान-सम्मान बढ़ता है।
अष्टमुखी रुद्राक्ष
अष्टमुखी रुद्राक्ष अष्टमातृकाओं का प्रतीक माना जाता है। यह रुद्राक्ष मां गंगा को अति प्रिय है। इसको धारण करने से सभी तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं। इस रुद्राक्ष को राहु का प्रतिक माना जाता है। इसको धारण करने से राहु के सभी अशुभ प्रभाव से बच सकते हैं।
नौमुखी रुद्राक्ष
नौमुखी रुद्राक्ष नवशक्ति का प्रतीक माना जाता है। यह सभी अशुभ प्रभाव व यमराज व मृत्यु का भय दूर होता हैं और हमेशा ही उनपर मां दुर्गा का आशीर्वाद बना रहता है।
12 और 14 मुखी रुद्राक्ष
बारहमुखी और चौदहमुखी रुद्रक्ष को भगवान और शिव का स्वरूप माना गया है। इसे धारण करने पर घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती है और सुख-शांति का वास होता है। इनके घर में ज्यादातर धर्म-कर्म के काम होते रहते हैं। इसे धारण करने वाले लोग आमोद की प्राप्ति होती है।
कैसे करें असली रुद्राक्ष की पहचान
1. असली रुद्राक्ष की पहचान के लिए रुद्राक्ष को पानी में डालें अगर वह रंग छोड़ रहा है तो वह नकली है और अगर नहीं छोड़ रहा है तो रुद्राक्ष असली है।
2. रुद्राक्ष को पानी में डालने पर अगर वह पानी में डूब जाए तो रुद्राक्ष असली है।
3. रुद्राक्ष को सरसों के तेल में डालने पर अगर उसका रंग एकदम गहरा हो जाए तो समझ लें कि रुद्राक्ष असली है।
4 . गहरे रंग के रूद्राक्ष को अच्छा माना जाता है और हल्के रंग वाले को नहीं। असलियत में रूद्राक्ष का छिलका उतारने के बाद उस पर रंग चढ़ाया जाता है। बाजार में मिलने वाली रूद्राक्ष की मालाओं को पिरोने के बाद पीले रंग से रंगा जाता है। रंग कम होने से कभी- कभी हल्का रह जाता है। काले और गहरे भूरे रंग के दिखने वाले रूद्राक्ष प्रायः इस्तेमाल किए हुए होते हैं, ऐसा रूद्राक्ष के तेल या पसीने के संपर्क में आने से होता है।
5 . रूद्राक्ष की पहचान सुई से भी की जाती है। अगर अगर रेशा निकले तो असली और न निकले तो नकली होगा।
6. नकली रूद्राक्ष के उपर उभरे पठार एकरूप हों तो वह नकली रूद्राक्ष है। असली रूद्राक्ष की उपरी सतह कभी भी एकरूप नहीं होगी। जिस तरह दो मनुष्यों के फिंगरप्रिंट एक जैसे नहीं होते उसी तरह दो रूद्राक्षों के उपरी पठार समान नहीं होते। हां नकली रूद्राक्षों में कितनों के ही उपरी पठार समान हो सकते हैं।