नई दिल्ली, 13 जनवरी (आईएएनएस)। किसान आंदोलन के 49वें दिन बुधवार को लोहड़ी पर्व के अवसर पर देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर स्थित प्रदर्शन स्थल सिंघु बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर समेत अन्य प्रदर्शन स्थलों और पंजाब, हरियाणा समेत संपूर्ण उत्तर भारत में आंदोलनकारी किसानों ने केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल लागू किए गए तीन कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर विरोध जताया।
लोहड़ी उत्तर भारत का लोकपर्व है जो हर साल 13 जनवरी को मनाया जाता है और इस पर्व पर अलाव जलाने की परंपरा है। तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे किसानों ने इन कानूनों की प्रतियां जलाकर विरोध जताते हुए कहा कि उन्हें ये कानून मंजूर नहीं है, इसलिए सरकार इसे वापस ले।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने एक बयान में कहा कि देशभर में 20,000 से ज्यादा स्थानों पर कानून की प्रतियां जलाई गईं। समिति ने कहा कि सभी स्थानों पर किसानों ने एकत्र होकर कानून की प्रतियां जलाईं और उन्हें रद्द करने के नारे लगाए।
लुधियाना में कानूनों की प्रतियां जलाते हुए भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह ने कहा कि किसानों को ये कानून मंजूर नहीं है इसलिए सरकार इसे वापस ले।
किसान यूनियनों के नेता केंद्र सरकार द्वारा लागू कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी देने की मांग कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने नए कृषि कानूनों और किसानों के आंदोलन को लेकर दायर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई के बाद मंगलवार को इन कानूनों के अमल पर रोक लगाने का फैसला लिया और किसानों की समस्याओं का समाधान तलाशने के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी का गठन कर दिया जिसमें चार सदस्य हैं।
उधर, आंदोलनकारी किसानों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी में जाने से मना कर दिया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा गठित कमेटी में शामिल सभी चारों सदस्य नए कृषि कानून के पैरोकार हैं।
किसान संगठनों ने आंदोलन तेज करने को लेकर पूर्व घोषित कार्यक्रमों को जारी रखने का ऐलान किया है। इसी के तहत बुधवार को लोहड़ी पर्व पर नए कृषि कानूनों की प्रतियां जलाई गईं।
–आईएएनएस
पीएमजे/एसजीके
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