लाइव हिंदी खबर :-पूजा में खानेपीने का बहुत ज्यादा ध्यान रखा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि श्रावण के महीने में हरी सब्जियों का सेवन नहीं करना चाहिए। क्या आप इसके पीछे का कारण जानते हैं? दिल्ली के इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर केके अग्रवाल आपको बता रहे हैं कि आपको इस महीने किन-किन सब्जियों को खाने से बचना चाहिए और क्यों।
डॉक्टर के अनुसार, आयुर्वेद में तीन तरह के दोष होते हैं वात, पित्त और कफ। आधुनिक चिकिस्ता प्रणाली में वात शरीर के काम करने, पित्त मेटाबोलिज्म से और कफ स्ट्रक्चर और पानी से जुड़ा है। ऋतुचार्य (मौसमी दिनचर्या) के अनुसार, शरीर में वात या कार्यप्रणाली वर्षा ऋतु (बरसात के मौसम) में बढ़ते हैं जो श्रवण महीने के नाम से जाना जाता है। इस महीने पित्त के काम रुक जाता है।
श्रावण मास में वात दोष का काम बढ़ने लगता है। इसका मतलब यह है कि वात को बढ़ाने वाली कोई भी चीज खाने से शरीर को नुकसान होता है। हरी पत्तेदार सब्जियां वात को बढ़ावा देती हैं। यही वजह है कि सावन के महीने में इन्हें खाने की सलाह नहीं दी जाती है।
आधुनिक चिकित्सा के अनुसार, बरसात के मौसम में अधिकांश जमीन के कीड़े भी सतह पर आते हैं और पत्तेदार सब्जियों को संक्रमित करते हैं। यह एक और कारण है कि श्रावण के महीने में पत्तेदार सब्जियां शरीर के लिए हानिकारक हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, श्रावण के महीने में पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है इसलिए पाचन को प्रभावित करने वाली किसी भी चीज का सेवन इस महीने नहीं करना चाहिए।
इन चीजों के सेवन से बचें
डॉक्टर के अनुसार, आपक सावन के महीने में पालक, गोभी, ब्रोकोली, अजवाइन, हरी प्याज, सरसों का साग, जल कुम्भी, सौंफ, पत्तागोभी, कासनी, मेथी, बथुआ, पुदीना, धनिया, हरा कोलार्ड, सलाद पत्ता और ब्रसल स्प्रोउट जैसी सब्जियों को खाने से बचना चाहिए।