क्यों होती है नई मूर्ति की पूजा? गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमा खरीदते समय रखें इन 4 बातों का ध्यान

क्यों होती है नई मूर्ति की पूजा? गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमा खरीदते समय रखें इन 4 बातों का ध्यान लाइव हिंदी खबर :-हर साल लोग अपने घर पर नई प्रतिमाओं की स्थापना करते हैं। वैसे तो रूप रंग और बनावट को देखकर लोग मां लक्ष्मी और गणेश की प्रतिमाएं खरीदते हैं मगर आज हम आपको कुछ ऐसे ही टिप्स बताने जा रहे हैं जिनकी मदद से आप अपने लिए सही लक्ष्मी और गणेश की प्रतिमा खरीद सकते हैं। मान्यता है कि ऐसी प्रतिमा खरीदने से घर में हमेशा बरकत बनी रहती हैं।

भगवान गणेश की मूर्ति खरीदते समय इन बातों का रखें ख्याल

1. बायीं ओर हो गणेश की सूंड, लक्ष्मी हो कमल पर विराजमान

कोशिश करें कि भगवान गणेश की प्रतिमा पर बनी सूंड बांयी तरफ मुड़ी हो। ऐसी मूर्ति शुभ मानी जाती है। वहीं लक्ष्मी जी की मूर्ति खरीदते समय ध्यान रखें कि ऐसी प्रतिमा लें जिसमें मां लक्ष्मी कमल पर विराजमान हों। लक्ष्मी जी की खड़ी हुई प्रतिमा कभी ना लें। ऐसी मूर्ति अशुभ मानी जाती है।

2. गणेश की सूंड में ना हो घुमाव

गणेश जी की ऐसी मूर्ति खरीदें जिनकी सूंड सिर्फ एक बार ही मुड़ी हो यानी सूंड में कोई घुमाव ना हो। वहीं लक्ष्मी जी की मूर्ति खरीदते समय ध्यान रखें कि उनके हाथ वरमुद्रा में हों जिससे धन की वर्षा हो रही हो। ऐसी प्रतिमा की पूजा करना शुभ होता है। भगवान गणेश की ऐसी मूर्ति लेना भी शुभ होता है जिसमें उनके हाथों में मोदक हो।

3. मूषक और उल्लू हो साथ

भगवान गणेश की प्रतिमा के साथ उनकी सवारी मूषक राज का साथ होना आवश्यक है। ऐसे ही मां लक्ष्मी की मूर्ति के साथ उनकी सवारी उल्लू का साथ होना भी अनिवार्य है। बिना सवारी के मूर्ति का होना अधूरा माना जाता है।

4. ना खरीदें एक साथ जुड़ी हुई प्रतिमा

लोग अक्सर दुकानों में रखने और अपने काम की जगह पर रखने के लिए ऐसी मूर्ति खरीद लेते हैं जो एक साथ जुड़ी हुई हो। कभी भी ऐसी प्रतिमा ना खरीदें जिसमें लक्ष्मी और गणेश एक साथ जुड़े हुए हों। ऐसी प्रतिमा शुभ नहीं मानी जाती है। गणेश-लक्ष्मी की हमेशा अलग-अलग प्रतिमा खरीदें।

नई मूर्ति पूजन की बहुत सारी हैं मान्यताएं

दिवाली पर हर साल लोग नई मूर्तियों की पूजा करते हैं। बताया जाता है कि पुराने समय में सिर्फ धातु की और मिट्टी की मूर्ति का ही प्रचलन था। धातु से ज्यादा लोग मूर्ति पूजन पर विश्वास करते थे। हर साल ये मूर्ति या तो खंडित हो जाती थी या बदरंग इसलिए हर साल नई मूर्ति पूजन का चलन है। इसके अलावा बताया जाता है कि कुम्हार की मदद के लिए भी हर साल मूर्ति पूजन की जाती है। एक और कथा प्रचलित है नई मूर्ति घर में नई एनर्जी लेकर आती है। इसलिए भी नई मूर्ति की पूजा हर साल होती है।

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