क्या आप जानते है स्वयं देवी मां ने की थी भारत की सीमा पर बनी इस पोस्ट की रक्षा?

क्या आप जानते है स्वयं देवी मां ने की थी भारत की सीमा पर बनी इस पोस्ट की रक्षा?

लाइव हिंदी खबर :-जब 1947 में हमने ब्रिटिश गुलामी से आजादी पाई थी। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो चमत्कारिक होने के साथ ही यहां आने वालों को आश्चर्य में डाल देता है। दरअसल आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे देवी माता मंदिर की, जहां हमारे दुश्मन तमाम कोशिशों के बावजूद कुछ नहीं कर सका। जबकि यहां से पाकिस्तान बॉर्डर मात्र 20 किलोमीटर है।

बताया जाता है कि 1965 के भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध की कुछ ऐसी कहानियां हैं जिस पर आज विश्वास करना मुश्किल हो सकता है। लेकिन, करीब 55 साल पहले जब पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया था तो राजस्थान के जैसलमैर में उन्हें मुंह की खानी पड़ी थी।

मान्यताओं के अनुसार जैसलमैर में भारत-पाक सीमा के पास तनोट माता ने इस पोस्ट की रक्षा की। कहा जाता है कि पाक ने तनोट माता मंदिर के आस पास 3000 से ज्यादा तोप के गोल दागे, लेकिन इस मंदिर का कोई नुकसान नहीं हुआ।

ऐसे में अश्विन और चैत्र नवरात्री में यहां हर साल एक बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। प्रतिदिन बढ़ती प्रसिद्धि के कारण तनोट अब एक टूरिज्म स्पॉट की तरह उबर रहा है। आपको बता दें कि जेपी दत्ता निर्मित फिल्म बॉर्डर में तनोट माता के मंदिर का दृश्य है।

1971 के भी युद्ध में लोंगेवाला पोस्ट के समीप बने तनोट माता के मंदिर पर पाकिस्तानी सेना ने सैकड़ों बम गिराए थे। इनमें से काफी बम तो फटे ही नहीं। कई बम को आज भी मंदिर के प्रांगण में देखा जा सकता है। इसे मंदिर के संग्रहालय में रखा गया है। तनोट माता के मंदिर पर हर दिन भारतीय सेना के जवान पूरे विधि-विधान से पूजा व आरती करते हैं।

ऐसे समझें पूरी कहानी…
1965 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना तीन ओर से तनोट पर भीषण आक्रमण किया। जैसलमैर से 130 किलोमीटर दूर तनोट की रक्षा के लिए मेजर जय सिंह की कमांड में 13 ग्रेनेडियर की एक कंपनी और सीमा सुरक्षा बल की दो कंपनियां दुश्मन की पूरी ब्रिगेड का सामना कर रही थी।

कहा जाता है कि तकरीबन 450 तोप के गोले फटे ही नहीं। पोस्ट पर तैनात सैनिकों का मानना था कि ऐसा तनोट माता के आर्शीवाद से हुआ। 1971 के युद्ध में लोंगेवाला की विजय के बाद मंदिर परिसर में एक विजय स्तंभ बनाया गया है। जहां हर साल 16 दिसंबर को सैनिको की याद में त्योहार मनाया जाता है।

बीएसएफ की आराध्य हैं देवी मां
बताया जाता है कि तनोट माता बीएसएफ की आराध्य हैं। बीएसएफ के जवान ही मंदिर की देखरेख करते हैं। बताया जाता है कि 1965 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना की ओर से माता मंदिर के इलाके में करीब 3000 बम गिराए थे, लेकिन मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ और सभी बम बेअसर हो गए थे।

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