लाइव हिंदी खबर :-वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह को ‘गुरु’ कहा जाता है। दरअसल यह देवताओं के गुरु है, इसी कारण सप्ताह के इस वार को तक गुरुवार कहा जाता है। जहां तक कुंडली में गुरु ग्रह की बात है, तो यह काफी शुभ व विद्या के कारक माने जाते हैं। वहीं ये भी मान्यता है कि यदि गुरु कुंडली के प्रथम, चतुर्थ, सप्तम या दशम भाव यानि कुंडली के केंद्र में स्थिति हो तो वे पूरी कुंडली के सभी दोषों को तक दूर कर देते है। यानि यदि आपकी कुंडली में कोई भी कैसा भी भीषण दोष क्यों न हो व उस दोष का प्रभाव ही नहीं पड़ने देते।
इससे पहले अगस्त से बृहस्पति यहां उल्टी यानि वक्री चाल चल रहे थे। वहीं देवगुरु बृहस्पति के धनु राशि में मार्गी होना कई राशियों के लिए अच्छा, तो कई राशियों के लिए परेशानियों वाला समय लाता दिख रहा है। वृषभ, कर्क, कन्या, धनु, मकर, कुंभ और मीन राशि के लिए को लोगों को इसके बहुत अच्छे परिणाम नहीं मिलेंगे। जबकि मेष, सिंह और मिथुन राशि लिए यह अच्छा साबित होता दिख रहा है।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार बृहस्पति के मार्गी होने से वृषभ, कर्क, कन्या, तुला, धनु, मकर, कुंभ और मीन राशि वालों के लिए थोड़ा उतार—चढ़ाव का समय रहेगा। खासकर धन के मामले में समस्या आ सकता है। इसलिए इन राशियों के लोग किसी भी प्रकार का फैसला सोच समझकर लें। कुल मिलाकर ध्यान रखें कि किसी भी बात को पहले अच्छे से जान लें, उसके बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचें।
धनु राशि में बृहस्पति की मार्गी होने से मेष, मिथुन, सिंह और वृश्चिक राशि वालों के लिए समय शुभ रहेगा। इन राशि के लोगों को धन से जुड़े मामलों में सफलता मिलेगी। किस्मत आपके लिए अच्छा समय लेकर आई है। आपको नौकरी में प्रमोशन के योग हैं, वहीं आपने अपने जिस किसी से उधार लिया था, उसका उधार चुका लेंगे।
ऐसे करें कुंडली में गुरु को मजबूत…
अपनी कुंडली में गुरु को मजबूत करने के लिए बृहस्पति के दिन पीले फूलों से भगवान विष्णु की पूजा करने और केसर का तिलक लगाने से सब कुछ अच्छा होता है। बादाम या नारियल पीले कपड़े में बांधकर नदी/नहर में प्रवाहित करें। इस दिन भगवान विष्णु का ध्यान करें और शिक्षक, ब्राह्मण, साधु, विद्वान, पति, संतान का दिल न दु:खाएं।
पंडित शर्मा के अनुसार गुरु के मार्गी होने से कुछ राशियों को खास लाभ हो सकता है. गुरु की इस चाल का कुछ राशियों पर शुभ तो कुछ पर अशुभ प्रभाव पड़ेगा…
राशियों पर असर
1. मेष राशि- इस राशि के जातकों के लिए गुरु नवम यानि भाग्य भाव में मार्गी हो रहे हैं, जिसकी वजह से इन्हें भाग्य का भरपूर साथ मिलेगा। इसके साथ ही इनके व्यक्तित्व में भी सुधार होगा। इन्हें अपने भाई बहन और दोस्तों का साथ भी मिलेगा।
2. वृषभ राशि- आपकी राशि के जातकों के लिए गुरु अष्टम यानि आयु भाव में मार्गी होंगे। जिसकी वजह से इन्हें धन का लाभ तो हो सकता है, लेकिन ससुराल पक्ष से इनके वैचारिक मतभेद रह सकते हैं। साथ ही इस समय में इनके खर्चों में भी कमीं आने की संभावना ह।.
3. मिथुन राशि- इस राशि के जातकों के लिए गुरु सप्तम भाव यानि विवाह में मार्गी हो रहे हैं, जिसकी वजह से इन्हें वैवाहिक सुख की प्राप्ति होगी। इसके साथ ही इस समय में इनकी आमदनी भी बढ़ सकती है।
4. कर्क राशि- आपकी राशि के जातकों के लिए गुरु छठे भाव यानि शत्रु व रोग भाव में मार्गी हो रहे हैं, जिसकी वजह से इनके शत्रुओं की वृद्धि हो सकती है, साथ ही इस समय में इस राशि के जातकों को किसी प्रकार का रोग भी सता सकता है।
5. सिंह राशि – गुरु आपकी राशि से पंचम यानि बुद्धि या पुत्र भाव में मार्गी हो रहे हैं, जिसकी वजह से इन्हें विद्याअर्जन में लाभ प्राप्त होगा। इसके साथ ही इन्हें किसी प्रकार का लाभ भी इस समय में प्राप्त हो सकता है और इनके प्रेम संबंधों में भी मधुरता आ सकती है।
6. कन्या राशि- गुरु इस राशि के जातकों के लिए चतुर्थ यानि सुख व माता भाव में मार्गी हो रहे हैं, जिसकी वजह से इनके सुखों में वृद्धि होगी। इसके साथ ही इन्हें नौकरी में भी लाभ की प्राप्ति होगी और साथ ही इनके मान- सम्मान में भी वृद्धि हो सकती है।
7. तुला राशि- आपकी राशि के जातकों के लिए गुरु तीसरे यानि पराक्रम व छोटे भाई बहनों के भाव में मार्गी हो रहे हैं। गुरु के मार्गी होने के कारण आपमें कुछ आलस्य बढ़ सकता है, लेकिन आपको अपने छोटे भाई बहनों और मित्रों का पूरा सहयोग प्राप्त होगा। इसके साथ ही इस समय में आपका भाग्य भी आपका साथ देगा।
8. वृश्चिक राशि – गुरु इस राशि के जातकों के लिए दूसरे यानि संपत्ति / धन भाव में मार्गी हो रहा हैं, जिसकी वजह से आपका धन बढ़ सकता है और साथ ही आपके परिवार में सुखों की वृद्धि भी हो सकती है। ससुराल पक्ष से भी आपको इस समय में लाभ प्राप्त हो सकता है।
9. धनु राशि- गुरु के ही स्वामित्व वाली इस राशि के जातकों के लिए गुरु लग्न यानि स्वयं / प्रथम भाव में ही मार्गी हो रहे हैं, जिसकी वजह से इनके व्यक्तित्व में वृद्धि होगी। इतना ही नहीं इस समय में आपको वैवाहिक सुख की प्राप्ति भी होगी। वहीं यदि आप बिजनेस करते हैं तो आपको उसमें भी लाभ की प्राप्ति होगी।
10. मकर राशि- आपकी राशि के जातकों के लिए गुरु बारहवें यानि व्यय भाव में मार्गी हो रहे हैं। जिसकी वजह से आपके खर्चे बढ़ सकते हैं, लेकिन आपको अपने शत्रुओं से मुक्ति मिलेगी। वहीं यदि आप काफी समय से बीमार चल रहे थे तो इस समय में आपकी सेहत ठीक हो जाएगी।
11. कुंभ राशि- कुंभ राशि के जातकों के लिए गुरु ग्यारहवें यानि आय भाव में मार्गी हो रहे हैं। जिसकी वजह से आपको हर तरफ से लाभ की प्राप्ति होगी। इसके साथ ही आपके प्रेम संबंधों में भी मधुरता आएगी। वहीं इस समय में आपके पराक्रम में भी वृद्धि होगी।
12. मीन राशि- बृहस्पति यानि गुरु के ही स्वामित्व वाली इस राशि के जातकों के लिए गुरु दसवें यानि कर्म भाव में मार्गी हो रहा हैं, जिसकी वजह से आपके मान- सम्मान में वृद्धि होगी और साथ ही इस समय में आपको नौकरी में तरक्की मिलेगी। परिवारिक सुख में भी इस समय में वृद्धि हो सकती है।
ऐसे समझें गुरु यानि बृहस्पति ग्रह को…
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार धनु और मीन राशि का स्वामी होता है और कर्क इसकी उच्च राशि है जबकि मकर इसकी नीच राशि मानी जाती है। गुरु ज्ञान, शिक्षक, संतान, बड़े भाई, शिक्षा, धार्मिक कार्य, पवित्र स्थल, धन, दान, पुण्य और वृद्धि आदि का कारक होता है। ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह 27 नक्षत्रों में पुनर्वसु, विशाखा, और पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र का स्वामी होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस व्यक्ति पर बृहस्पति ग्रह की कृपा बरसती है उस व्यक्ति के अंदर सात्विक गुणों का विकास होता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति सत्य के मार्ग पर चलता है।
ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह का गोचर जन्मकालीन राशि से दूसरे, पांचवें, सातवें, नौवें और ग्यारहवें भाव में शुभ फल देता है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार गुरु आकाश तत्व के ग्रह हैं। ज्योतिष अनुसार गुरु शुभ हो तो जातक को वकील, धनवान, संपादक, गुरु, जज, आयुर्वेद आचार्य, अध्यापक और बैंक का मैनेजर बनाता है। गुरु ग्रह वैवाहिक जीवन और सन्तान का कारक है। गुरु शुभ हो तो बहुत अच्छा जीवन साथी मिलता है और वैवाहिक सुख भी मिलता है। संतान से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। गुरु उच्च शिक्षा दिलाते है और शुभ गुरु ही अच्छा ज्योतिष बनाता है। गुरु का मस्तिष्क पर बहुत गहरा प्रभाव होता है तभी गुरु को ज्ञान का कारक कहा गया है।