लाइव हिंदी खबर :-ज्योतिषशास्त्र में मांगलिक योग और ग्रहण योग की तरह कालसर्प योग को भी अशुभ योग की श्रेणी में रखा गया है। कालसर्प योग के विषय में कहा गया है कि यह योग जिनकी कुण्डली में होता है उन्हें बार-बार चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
कुंडली में राहु और केतु के बीच सारे ग्रह आने से कालसर्प योग या कलसर्प दोष का निर्माण होता हैं। यह 12 प्रकार का होता है। कुंडली में यह योग रहने पर जातक को अपने अथक परिश्रम का फल नहीं मिल पाता है। इसीलिए जिस जातक के कुंडली में यह दोष हो, उसे विधि-विधान से पूजा करके दोष का निवारण करा लेना चाहिए।
कालसर्प दोष क्या होता है?
अगर किसी की कुंडली में राहु और केतु के बीच सभी ग्रह समा जाते हैं तो उसे कालसर्प योग कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि जातक के पूर्व जन्म में किसी जघन्य अपराध या शाप की वजह से उसकी कुंडली में कालसर्प योग बनता है।
कालसर्प योग 12 प्रकार के होते हैं और इनके नाम पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्रसिद्ध नागों पर रखे हुए है। कालसर्प योग के 12 प्रकार इस प्रकार हैं-
1. अनंत कालसर्प योग
2. कुलिक कालसर्प योग
3. वासुकि कालसर्प योग
4. शंखपाल कालसर्प योग
5. पदम कालसर्प योग
6. महापदम कालसर्प योग
7. तक्षक कालसर्प योग
8. कारकोटक कालसर्प योग
9. शंखचूड़ कालसर्प योग
10. घातक कालसर्प योग
11. विषधर कालसर्प योग
12. शेषनाग कालसर्प योग
कालसर्प दोष जिनकी कुण्डली में मौजूद है उन्हें सावन के महीने में भगवान शिव का नियमित जलाभिषेक करना चाहिए। सावन मास शिव का मास है और शिव नागों के देवता हैं। इसलिए सावन मास इस योग के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए उत्तम है।
शिव के प्रसन्न होने से इस दोष का कुप्रभाव कम हो जाता है। सावन महीने में ही नागपंचमी का त्योहार आता है। इसदिन तांबे का नाग बनवाकर शिवलिंग पर चढ़ाने से कालसर्प दोष की शांति होती है। प्रतिदिन शिवलिंग की पूजा के बाद महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से भी इस योग का दोष दूर होता है।
कालसर्प कुंडली में है या नहीं, कैसे पता करें
कालसर्प से पीड़ित व्यक्तियों के लिए कई ऐसे लक्षण हैं जो इशारा करते हैं कि आपकी कुंडली मे ये दोष है या नहीं। दरअसल, कालसर्प जिनकी कुंडली में होता है, उन्हें जिंदगी भर परेशानियों का सामना करना पड़ता है। संभव है कि आप मेहनत ज्यादा करते हों लेकिन नतीज उसके हिसाब से नहीं मिलता।
साथ ही संतान की या तो प्राप्ति नहीं होती है या अगर होती भी है तो उसके विकास पर असर पड़ता है। इस दोष से पीड़ित व्यक्ति का वैवाहिक जीवन अस्त-व्यस्त रहता है और खराब स्वास्थ्य भी लगातार परेशान करता है। सपने में बार-बार नाग-नागिन या सर्प दिखना भी कालसर्प योग का लक्षण है।
कालसर्प दोष दूर करने के क्या है उपाय
मान्यताओं के अनुसार अगर किसी की कुंडली में कालसर्प दोष है तो नाग पंचमी के दिन पूजा करने से यह दूर होता है। इस दिन नाग देवता की पूजा करे और ऊं नम: शिवाय का जप करें।
इसके नाग पंचमी के दिन रुद्राभिषेक करने से भी जातक कालसर्प दोष को कम कर सकता है। इसके अलावा कालसर्प से पीड़ित व्यक्ति को हर रोज भगवान शिव और उनके परिवार की पूजा करनी चाहिए। साथ ही आप नागपंचमी के दिन पूजा के दौरान इस मंत्रों का भी जाप कर सकते हैं…
1. नागेन्द्र हाराय ॐ नम: शिवाय’
2. ‘ऊं नागदेवतायै नम:‘ या ‘ऊं नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नौ सर्प प्रचोद्यात्।‘
इसके अलावा कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए सोमवार के दिन शिव मंदिर में सवा लाख बार ‘ओम नम: शिवाय’ मंत्र का जप करें, इसके बाद शिवलिंग पर रूद्राभिषेक करने का विशेष महत्व होता है। साथ ही शिवलिंग पर चांदी के नाग-नागिन अर्पित करें। नाग स्तोत्र का पाठ करें।
कालसर्प दोष की पूजा स्वयं ऐसे करें अपने घर पर…
1- कालसर्प दोष से पीड़ित जातक प्रत्येक सोमवार को ब्राह्म मुहूर्त में 4 बजे सादे जल में गंगाजल मिलाकर स्नान कर धुले हुए सफेद रंग के कपड़े पहने ।
2- पवित्र होकर घर में अगर शिवलिंग हो तो या नहीं हैं तो मिट्टी की छोटी सी शिवलिंग बनाकर, इस मंत्र से स्थापना, आवाहन करें ।
3- शिवलिंग स्थापना मंत्र
ऊँ मनोजूतिर्जुषतामाज्यस्य, बृहस्पतिर्यज्ञमिमं तनोत्वरिष्टं, यज्ञ ग्वगं समिमं दधातु । विश्वेदासइह मादयन्तामो3म्प्रतिष्ठ । ऊँ भूर्भुवः भगवते शाम्भ सदाशिवाय आवाहयामि स्थापयामि । ततो नमस्कारं करोमि ।
4- अब शिवलिंग पर 11 साबुत चावल के दाने ‘श्री राम’ नाम का उच्चारण करते हुए अर्पित करें ।
5- चावल अर्पित करते समय मन ही मन अपनी विशेष इच्छा, कामना का स्मरण करें ।
6- ऐसा लगातार 11 सोमवार तक करने से अवश्य ही कालसर्प दोष से मुक्ति मिलेगी । ध्यान रखे कि पूजा का समय एक ही होना चाहिए, बार बार समय नहीं बदलना हैं ।
7- 11 सोमवार तक एक ही समय एक ही स्थान पर किसी प्राचीन शिवलिंग के ऊपर एक मुट्ठी साबुत गेंहू, एक गीला नारियल व एक सिक्का ये सब सामग्री श्री राम’ नाम मंत्र का उच्चारण करते हुए अर्पण करें ।
8- जो सिक्का प्रथम सोमवार को लिया है वही संख्या वाला सिक्का हर बार लेना है, अगर पहले सोमवार को 1 रूपये का सिक्का लिया था तो हर सोमवार को भी 1 रूपये का ही लेना हैं, 2 या 5 का नहीं लेवें ।
9- शिवलिंग पर सबसे पहले गेंहू को अर्पण करें, फिर नारियल एवं उस पर सिक्का रखकर अर्पण करें । इस पूरी क्रिया के दौरान श्री राम नाम का जप निरंतर करते रहें । यह 11 सोमवार तक करें ।