लाइव हिंदी खबर :-आयुर्वेद दुनिया की सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणाली है जिसमें औषधियों और दर्शन दोनों का अद्भुत मिश्रण है। इसके 5000 से अधिक पुराने इतिहास में, इसने लोगों की शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास में बहुत योगदान दिया है। पर क्या आप जानते हैं कि प्राचीन समय से ही ज्योतिष व आयुर्वेद का गहरा नाता रहा है।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार उस समय जो वैद्य का काम करते थे उनके लिए आयुर्वेद के साथ ही ज्योतिष का ज्ञान होना जरुरी माना जाता था, क्योंकि उस समय जंगल से औषधि लाने से रोगी को उसे पिलाने तक सब काम खास तरह का मूहूर्त देखकर किया जाता था। इसीलिए, शुभ मूहूर्त और सकारात्मक ग्रह स्थिति में औषधि का सेवन करने पर सही परिणाम प्राप्त होता था।
जानकारों के अनुसार यही कारण है कि आयुर्वेद को एक संपूर्ण विज्ञान कहा गया है, जिसके कई पहलूओं को जानना आज के विज्ञान के लिए काफी कठीन है। आयुर्वेद के ग्रन्थ चरक संहिता के इन्द्रिय स्थान में किसी रोगी के ठीक होने के लक्षणों और मृत्यु-सूचक लक्षणों को देखकर पहचानने का वर्णन है,जो बड़ा रोचक है ऐसे ही कुछ रोचक पहलूओं इस प्रकार हैं।
रोचक पहलू : आयुर्वेद से जुड़ी कुछ अजब बातें!
1. रोगी द्वारा अच्छी सफ़ेद वस्तुओं को देखना,मधुर रस ,शंख ध्वनि सुनना आदि भी शीघ्र ठीक होने के लक्षण बताये गए हैं ।
: वहीं आयुर्वेद में स्वप्न से सम्बंधित अरिष्ट लक्षणों को भी बताया गया है-जैसे यदि व्यक्ति सपने में स्नान और चंदन का लेप किया हुआ दिखे, जहा मक्खियां उसके शरीर पर बैठी हों तो वह व्यक्ति मधुमेह से पीडि़त होकर मृत्यु को प्राप्त होगा, ऐसा वर्णित है।
: इसी प्रकार जो व्यक्ति स्वयं को सपने में देखता है,और संपूर्ण शरीर में घी लगाया हुआ ,व जिस अग्नि में ज्वाला नहीं है उसमें हवन करता हुआ देखता है, वैसे व्यक्ति की असाध्य त्वचा रोगों से पीडि़त होकर मृत्यु की संभावना बताई गई है।
: जबकि जो व्यक्ति श्रम न करने पर भी थकान महसूस करे,बिना कारण बैचैन हो,जहां मोह नहीं करना चाहिए वहां मोह करे,पूर्व में क्रोधी न हो पर अचानक क्रोधी स्वभाव का हो जाय, मूर्छा और प्यास से पीडि़त हो, तो समझें वह मानसिक रोग से पीडि़त हो जाएगा।
: यदि रोगी व्यक्ति स्वप्न में कुत्ते ,ऊंट क़ी सवारी करता हुआ दक्षिण दिशा क़ी ओर जाता हो और विचित्र प्रकार की आकृतियों के साथ मदिरा पान करता हुआ स्वयं को देखे, तो वह रोगों के समूह से पीडि़त होगा,ऐसा वर्णित है।
: यदि रोगी दही,अक्षत,अग्नि,लड्डू ,बंधे हुए पशु, बछडे के साथ गाय ,बच्चे के साथ स्त्री,सारस ,हंस,घी,सैंधा नम ,पीली सरसों,गोरोचन,मनुष्यों से भरी गाडी आदि देखता हो तो आरोग्य प्राप्त करता है।
यदि रोगी के उदर पर सांवली,ताम्बे के रंग क़ी,लाल,नीली,हल्दी के तरह क़ी रेखाएं उभर जाएं तो रोगी का जीवन खतरे में है, ऐसा बताया गया है।
: यदि व्यक्ति अपने केश और रोम को पकड़कर खींचे और वे उखड जाएं, लेकिन उसे दर्द न हो तो रोगी क़ी आयु पूर्ण हो गयी है, ऐसा मानना चाहिए।
: व्यक्ति स्वप्न में अपने शरीर पर लताएं उत्पन्न देखे और पंछी उस पर घोंसले बनाकर रहे हुए दिखें, तो उसके जीवन में संदेह है इसी प्रकार यदि स्वप्न में व्यक्ति यदि अपना बाल उतरा हुआ देखे, तो भी वह रोगी होगा ऐसा माना गया है।
: जिस व्यक्ति का श्वांस छोटा चल रहा हो और उसे कैसे भी शान्ति न मिल रही हो, तो उसका बचना मुश्किल है।
यदि रोगी व्यक्ति स्वप्न में पर्वत,हाथी-घोड़े पर स्वयं को या अपने हितैषियों को चढ़ते हुए देखता है, साथ ही समुद्र या नदी में तैरते हुए उसको पार करता हुआ देखता है, चन्द्रमा, सूर्य एवं अग्नि को प्रकाशित देखता है तो वह आरोग्य को प्राप्त होगा।
: इसी प्रकार व्यक्ति का थूक पानी में डूब जाय तो आयुर्वेद के ऋषियों के अनुसार उसकी मृत्यु निश्चित मानना चाहिए।
जानकारों की मानें तो हो सकता है की आयुर्वेद के जानकारों द्वारा उनके अनुभव के आधार पर इकठ्ठा किया यह ज्ञान, चिकित्सकों व रोगी के परिवारजनों की जानकारी के लिए रोगी के ठीक होने और न होने की संभावना को व्यक्त करने के उद्देश्य से बताए गए हों, लेकिन माना जाता है कि ये आज भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं।