लाइव हिंदी खबर :-हिन्दू मान्यताओं में सावन का महीना सबसे पवित्र माना जाता है। इस महीने में भगवान शिव की उपासना की जाती है। मान्यता यह भी है कि यह महीना भगवान भोले का प्रिय महीना होता है इसलिए इस महीने में भगवान शंकर से जो भी मांगो वह पूरा हो जाता है। वैसे तो सच्चे मन से की गई पूजा हमेशा ही सफलता दिलाती है लेकिन सावन के दिनों में 3 विशेष व्रत करने से शिव प्रसन्न हो जाते हैं। माना यह भी जाता है की सावन माह में यह 3 तरह के व्रत रहने से साभी मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती हैं। आप भी जानिए कौन से हैं ये 3 व्रत और क्या है इसकी पूजा विधी।
1. सावन सोमवार व्रत
श्रावण मास में सोमवार के दिन व्रत रखा जाता है इसका विशेष महत्व है। मान्यता है कि सच्चे मन से यह व्रत करने से भगवान शिव अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं। सावन सोमवार के व्रत में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है। प्राचीन शास्त्रों के अनुसार सोमवार के व्रत तीन तरह के होते हैं। सोमवार, सोलह सोमवार और सौम्य प्रदोष। सोमवार व्रत की विधि सभी व्रतों में समान होती है। इस व्रत को सावन माह में आरंभ करना शुभ माना जाता है।
सावन के सोमवार व्रत की पूजा-विधि
* सावन सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में सोकर उठें।
* पूरे घर की सफाई कर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं।
* गंगा जल या पवित्र जल पूरे घर में छिड़कें।
* घर में ही किसी पवित्र स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
* इसके बाद पूरे विधी-विधान से दूध या गंगाजल से शिवलिंग या मूर्ति का अभिषेक करें।
* बेलपत्र और भांग धतूरा चढ़ाकर फल का भोग लगाएं।
* घी का दिया जलाएं।
* सावन सोमवार व्रत सूर्योदय से प्रारंभ कर तीसरे पहर तक किया जाता है।
* शिव पूजा के बाद सोमवार व्रत की कथा सुननी आवश्यक है।
* व्रत करने वाले को दिन में एक बार भोजन करना चाहिए।
2. 16 सोमवार व्रत
16 सोमवार व्रत से भगवान शिव व मां पार्वती बेहद प्रसन्न होते हैं। माना जाता है कि सावन के महीने में 16 सोमवार के व्रत शुरू करने से शुभ व मनवांछित फल प्राप्त होता है। श्रावण के सबसे लोकप्रिय व्रतों में से 16 सोमवार का व्रत है। अविवाहिताएं इस व्रत से मनचाहा वर पा सकती हैं। वैसे यह ब्रत हर उम्र और हर वर्ग के व्यक्ति कर सकते हैं लेकिन नियम की पाबंदी के चलते वही लोग इसे करें जो क्षमता रखते हैं।
16 सोमवार व्रत करने की पूजा-विधि
* सोमवार के दिन प्रात: काल उठकर नित्य-क्रम कर स्नान कर लें।
* स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा गृह को स्वच्छ कर शुद्ध कर लें।
* सभी सामग्री एकत्रित कर लें। शिव भगवान की प्रतिमा के सामने आसन पर बैठ जायें।
* सबसे पहले भगवान शिव पर जल समर्पित करें।
* जल के बाद सफेद वस्त्र समर्पित करें।
* सफेद चंदन से भगवान को तिलक लगायें एवं तिलक पर अक्षत लगायें।
* सफेद पुष्प, धतुरा, बेल-पत्र, भांग एवं पुष्पमाला अर्पित करें।
* अष्टगंध, धूप अर्पित कर, दीप दिखायें।
* भगवान को भोग के रूप में ऋतु फल या बेल और नैवेद्य अर्पित करें।
3. प्रदोष व्रत
सावन में भगवान शिव एवं मां पार्वती का आशीर्वाद पाने के लिए प्रदोष व्रत प्रदोषकाल तक रखा जाता है। वैसे तो आप हर महीने में 2 बार आने वाले प्रदोष व्रत को रख सकते हैं मगर सावन में रखे गए प्रदोष व्रत का महत्व ही अलग होता है।
प्रदोष व्रत की विधि
* प्रदोष व्रत करने के लिए मनुष्य को त्रयोदशी के दिन प्रात: सूर्य उदय से पूर्व उठना चाहिए।
* नित्यकर्मों से निवृ्त होकर, भगवान श्री भोले नाथ का स्मरण करें।
* इस व्रत में आहार नहीं लिया जाता है।
* पूरे दिन उपावस रखने के बाद सूर्यास्त से एक घंटा पहले, स्नान आदि कर श्वेत वस्त्र धारण किए जाते है।
* पूजन स्थल को गंगाजल या स्वच्छ जल से शुद्ध करने के बाद, गाय के गोबर से लीपकर, मंडप तैयार किया जाता है।
* अब इस मंडप में पांच रंगों का उपयोग करते हुए रंगोली बनाई जाती है।
* प्रदोष व्रत कि आराधना करने के लिए कुशा के आसन का प्रयोग किया जाता है।
* इस प्रकार पूजन की तैयारियां करके उतर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे और भगवान शंकर का पूजन करना चाहिए।
* पूजन में भगवान शिव के मंत्र ‘ऊँ नम: शिवाय’ का जाप करते हुए शिव को जल चढ़ाना चाहिए।