लाइव हिंदी खबर :-मां, बाप, भाई-बहन… खून के ये रिश्ते दिल के बेहद करीब होते हैं। लेकिन इन खून के रिश्तों के अलावा भी जिंदगी में कुछ ऐसे रिश्ते बन जाते हैं जिन्हें हम बेहद अहमियत देते हैं। रिश्तेदार, दोस्त, पति, पत्नी, साथ काम करबे वाले लोग, आदि हमारी जिंदगी की किताब के हर पन्ने को अपने रूप से भरते चले जाते हैं। लेकिन इन सबमें से कौन हमारा सगा है और कौन पराया, यह जान लेना बहुत जरूरी होता है। चाणक्य कहते हैं कि जीवन में ऐसे कई मोड़ आते हैं जब हम आखिरकार यह जान पाते हैं कि कौन हमारा अच्छा सोचता है और कौन दोस्त के रूप में दुश्मन बनकर हमारे साथ घूम रहा है।
आचार्य चाणक्य कहते हैं-
आतुरे व्यसने प्राप्ते दुर्भिक्षेत्र शत्रुसंकटे।
राजद्वारे श्मशाने च यस्तिष्ठति स बांधव: ।।
इस श्लोक के जरिए चाणक्य हमें कुछ परिस्थितियों के बारे में समझा रहे हैं, जो जब बहे जीवन में आएं तो उस समय अपने अपनों को परखें और जान लें कि वह वाकई आपके शुभचिंतक हैं या केवल दिखावा करते हैं। आइए जानते हैं आचार्य चाणक्य द्वारा बतायी गई परिस्थितयों के बारे में:
– चाणक्य कहते हैं कि खुशी में तो कोई भी आपके साथ आकर खड़ा होगा, लेकिन आपके दुःख, दर्द और गरीबी में जो आपको सहयोग दे, वही आपका शुभचिंतक है
– जब आपको कोई दुःख पहंचाए, दुश्मन आप पर हावी होने लगे तो उस समय जो आपका साथ दी वही आपका शुभचिंतक है
– आप किसी कानूनी मसले में फास जाएं, ऑफिस के किसी काम को पूरा करने में असक्षम हो रहे हों, लेकिन ऐसी हर परेशानी से आपको जो बाहर ले आए, वही आपका ‘अपना’ है
– घर-परिवार में किसी की मृत्यु हो जाए, आपके ऊपर कोई बड़ी मुसीबत हो जाए, लेकिन जो कभी आपका साथ ना छोड़े, वह आपका शुभचिंतक है
– भले ही वह आपसे नाराज हो, एल्किन आपको परेशानी में देखते ही मदद करने आए, ऐसे इंसान को कभी खुद से दूर ना करें। वह दिल से आपको चाहता है और इससे बड़ा शुभचिंतक आपके लिए कोई और नहीं हो सकता है