लाइव हिंदी खबर :-वाल्मीकि रामायण में ऐसे कई रोचक तथ्य हैं जो आज भी सामने नहीं आए हैं। ऐसी कई कहानियां हैं जिनसे लोग आज भी अनजान हैं। कहानियों के अलावा उस काल में शामिल पात्रों के जीवन से जुड़ी कुछ बातें भी जानने योग्य है।
रामायण काल में रावण कौन था, किसका पुत्र था, कहाँ का राजा था, यह तो सभी जानते हैं। लेकिन उसके पूर्वजों के बारे में यदि आप जानेंगे तो आपको बेहद हैरानी होगी। वाल्मीकि रामायण के अनुसार रावण एक ब्राह्मण था, किन्तु वह राक्षस क्यों बना और किसलिए दैत्यों का राजा कहलाया, आइए जानते हैं उसके परिवार के बारे में।
रावण का परिवार
वाल्मीकि रामायण में दर्ज कथाओं के अनुसार रावण भगवान ब्रह्मा का परपोता था। जी हां, इस बात पर यकीन तो नहीं होता किन्तु पौराणिक तथ्यों के मुताबिक ब्रह्मा का एक मानस पुत्र था जिसका नाम था पुलस्त्य।
पुलस्त्य ने भगवान ब्रह्मा से वुष्णु पुराण सुना था जिसे उन्होंने आगे ऋषि पराशर को भी सुनाया था। पुलस्त्य का विवाह राजा तृणबिंदु की पुत्री थी हुआ था। आगे चलकर इनके दो पुत्र हुए- अगस्त्य एवं विश्रवा।
रावण के पिता विश्रवा
दोनों ही परम ज्ञानी और तपस्वी थे। दोनों पुत्रों में से महर्षि विश्रवा का पहला विवाह भारद्वाज मुनि की पुत्री थी हुआ था। इनसे उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई जिसका नाम कुबेर था।
महर्षि विश्रवा का दूसरा विवाह एक राक्षसी से हुआ, इससे उन्हें संतान रूप में रावण, कुंभकर्ण, विभीषण व शूर्पणखा की प्राप्ति हुई।
रावण का सौतेला भाई कुबेर
इस तरह से धन कुबेर रावण के सौतेले भाई थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार सोनी की लंका पर पहले धन कुबेर का ही राज था।
रावण का विवाह एक अप्सरा की पुत्री मंदोदरी से हुआ था जिससे उसे सन्तान रूप में मेघनाद और अक्षयकुमार की प्राप्ति हुई।
इन तथ्यों के मुताबिक ही रावण भगवान ब्रह्मा का परपोता हुआ।